बेंगलुरु : थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने रविवार को कहा कि भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एक मजबूत रक्षात्मक रुख अपनाए हुए है और वह हर प्रकार की आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. जनरल पांडे ने यहां 'सेना दिवस' समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति है और स्थापित प्रोटोकॉल एवं मौजूदा तंत्र के माध्यम से शांति बनाए रखने के लिए कदम उठाए गए हैं.
थलसेना प्रमुख ने पश्चिमी सीमा पर स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि नियंत्रण रेखा (LAC) पर संघर्षविराम जारी है और इसके उल्लंघन के मामलों में कमी आई है, लेकिन सीमा के दूसरी तरफ आतंकवादी ढांचा बरकरार है. उन्होंने कहा, 'आतंकवाद से निपटने का हमारा तंत्र घुसपैठ की कोशिशें नाकाम कर रहा है.' जनरल पांडे ने जम्मू और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन के जरिए हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी की कोशिशों का जिक्र करते हुए कहा कि इनसे निपटने के लिए ड्रोन जैमर का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा भारतीय सेना ओर अन्य सुरक्षा बल इन कोशिशों को नाकाम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
जनरल पांडे ने कहा, 'हमारा ध्यान सद्भावना पैदा करने और विकासात्मक परियोजनाओं को पूरा करने पर भी केंद्रित है, जिनके माध्यम से हम स्थानीय आबादी को मुख्यधारा में ला सकते हैं. इसके तहत प्रभावशाली युवाओं को उनकी पसंद के पेशेवर क्षेत्रों और खेलों में अपने सपनों को पूरा करने के अवसर दिए जा रहे हैं.' उन्होंने पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि स्थिति में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि सेना ने हिंसा को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और कई उग्रवादी समूहों ने सरकार के साथ शांति समझौता कर लिया है या इस दिशा में बातचीत चल रही है. थलसेना प्रमुख ने कहा कि इन क्षेत्रों के विकास में तेजी आई है और सेना दूरदराज के इलाकों में लोगों को सशक्त एवं समृद्ध बनाने में मदद करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगी.
जनरल पांडे ने भू-राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर भारतीय सेना में सुधारों के बारे में कहा कि वैश्विक सुरक्षा माहौल में पिछले साल बदलाव दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष ने विंध्वसकारी और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के महत्व को स्पष्ट रूप से साबित किया है. उन्होंने कहा, 'सूचना के इस्तेमाल वाला युद्ध, साइबर युद्ध और अंतरिक्ष युद्ध नए युद्ध क्षेत्र के रूप में उभरे हैं. ग्रे जोन (युद्ध एवं शांति के बीच की स्थिति) युद्ध ने भी यह साबित कर दिया है कि भविष्य में युद्धों और संघर्षों में 'नॉन काइनेटिक' (प्रत्यक्ष युद्ध न करके साइबर, खुफिया या अन्य माध्यमों से युद्ध करना और प्रतिद्वंद्वी के मनोबल को कमजोर करना) युद्ध भी 'काइनेटिक' (प्रत्यक्ष) युद्ध जितना महत्वपूर्ण होगा. इस वजह से युद्ध का मैदान अधिक जटिल, भयंकर और खतरनाक होता जा रहा है.'
थल सेना प्रमुख पांडे ने कहा कि व्यापक राष्ट्रीय शक्ति का एक महत्वपूर्ण घटक होने के नाते भारतीय सेना की यह जिम्मेदारी है कि वह हर स्थिति के लिए तैयार रहे. थलसेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्म-निर्भर भारत' के आह्वान के अनुरूप स्वदेशीकरण पर जोर दिया. जनरल पांडे ने कहा कि सुरक्षा के मामले में राष्ट्रीय प्रगति में कोई बाधा पैदा नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने अपनी अभियानगत तैयारियों को बढ़ावा देने के लिए बदलाव की एक बड़ी प्रक्रिया शुरू की है. जनरल पांडे ने कहा, 'हम अपने युद्धक दलों को एकीकृत युद्धक समूहों में बदलने की योजना बना रहे हैं, जो हमारे भविष्य के युद्धों में महत्वपूर्ण योगदान देंगे. पुराने प्रतिष्ठानों और इकाइयों को भंग किया जा रहा है या उपयुक्त बदलाव के जरिए उन्हें नया आकार दिया जा रहा है.'