देहरादून :युद्ध और संगीत यूं तो एक दूसरे के विपरीत बातें हैं, लेकिन जो संगीत एक तरफ रूह को सुकून देता है. वहीं, जंग के मैदान में दुश्मन के खिलाफ जवानों में कुछ कर गुजरने के भाव भी भर देता है. युद्ध के मैदान में बजने वाला संगीत जवानों में अपने वतन के लिए प्रेम और मर-मिटने का जज्बा पैदा करता है.
भारतीय सैन्य अकादमी में इन दिनों पासिंग आउट परेड की तैयारियां चल रही हैं, ऐसे में अब एक बार फिर से भारतीय सेना का आर्मी बैंड हिंद के होनहार योद्धाओं की सलामी और स्वागत के लिए तैयार है.
धुनें जोश और देशभक्ति का माहौल पैदा करती हैं. हौसला नहीं डगमगाने देता आर्मी बैंड
तू शेर ए हिंद आगे चल, मरने से तू कभी न डर...ये धुन ही है जो जेंटलमैन कैडेट का हौसला बुलंद करती है. यही पंक्तियां जेंटलमैन कैडेट्स को बतौर सैन्य अधिकारी जीवन भर याद रहती हैं. यही नहीं इन युवा जांबाज को यही संगीत अपने लक्ष्य से डगमगाने नहीं देता. सेना में आर्मी बैंड का एक खास मकसद भी है और महत्व भी. यही वजह है कि दुनियाभर में सभी सेनाओं का अपना एक आर्मी बैंड जरूर होता है.
रणबांकुरों का बढ़ाते हैं हौसला पढ़ें- IMA में आर्मी कैडेट कॉलेज ग्रेजुएशन सेरेमनी का आयोजन, 31 कैडेट्स को दी गई डिग्रियां
भारतीय सेना में 50 से ज्यादा सैन्य पीतल बैंड
भारतीय सेना में 50 से ज्यादा सैन्य पीतल के बैंड, 400 पाइप बैंड और ढोल के सैन्य दल शामिल हैं. सामान्य तौर पर एक आर्मी बैंड में एक बैंड मास्टर 33 संगीतकार होते हैं. पाइप बैंड में भी एक बैंड मास्टर और 17 संगीतकार होते हैं. आर्मी बैंड में मौजूद वाद्ययंत्रों के महारथी सेना की विभिन्न गतिविधियों में उसी तरह की धुन देते हैं. इसमें सेना के गीतों से जुड़ी धुन, साहस भरने, गर्व पैदा करने जैसी धुनों को शामिल किया जाता है.
जवानों का बैंड की धुनों से हौसला बढ़ता है पढ़ें-पूर्व सैनिकों की मांग होगी पूरी, खटीमा में खुलेगी आर्मी कैंटीन
आर्मी बैंड से जेंटलमैन कैडेट को करवाया जाता है रूबरू
फ्रेंच हॉर्न, बैगपाइपर, क्लेरिनेट समेत सेना के पास 50 मिलिट्री बैंड, 400 से ज्यादा पाइप बैंड और ड्रम हैं. जिनकी धुनें एक नया जोश और देशभक्ति का माहौल पैदा करती हैं. आर्मी बैंड में बकायदा शर्तों के साथ पांच साल का कोर्स किए हुए लोगों का ही सलेक्शन किया जाता है. खास बात यह है कि इंडियन मिलिट्री एकेडमी में सेना के इन बैंड से सैन्य अफसर बनने वाले जेंटलमैन कैडेट्स को भी रूबरू करवाया जाता है.
भारतीय मिलिट्री बैंड का इतिहास ब्रिटिश मिलिट्री बैंड से जुड़ा
भारतीय सेना में मिलिट्री बैंड को ब्रिटिश मिलिट्री बैंड के इतिहास से जोड़ा जाता है. 17वीं शताब्दी यानी करीब 300 साल पुराने इतिहास से जुड़े मिलिट्री बैंड को आजादी के बाद 1950 में मध्य प्रदेश के पंचमढ़ी में मिलिट्री स्कूल ऑफ म्यूजिक संस्थान के जरिये नया स्वरूप देने की शुरुआत हुई. कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल केएम करियप्पा द्वारा की गई इस शुरुआत के साथ ही भारतीय धुनों पर आधारित हिंदुस्तानी मिलिट्री बैंड को आकार मिला.
पढ़ें-भारतीय सेना ने किया इरांग ब्रिज के पुनर्निर्माण का काम पूरा
भारतीय सेना में आर्मी बैंड चार रूपों में देखे जाते हैं. इसमें टॉप बैंड आर्मी, एयरफोर्स, नेवी और पैरामिलिट्री बैंड्स हैं. इसी तरह आर्मी बैंड में सैन्य बैंड, पाइप बैंड और ड्रम बैंड शामिल है. आर्मी द्वारा बजाई जाने वाली धुनें लोकगीतों और विभिन्न कथाओं पर आधारित होती हैं.
युद्ध के मोर्चे पर भी डटते हैं आर्मी बैंड वाले जवान
सेना में वाद्य यंत्रों के साथ आर्मी बैंड को विशेष रूप से तैयार किया गया है. इसमें मौजूद संगीतकारों की भी रैंक तय की जाती है. लेकिन खास बात यह है कि युद्ध जैसे मुश्किल हालातों में आर्मी बैंड के जवान दोहरे मोर्चे पर काम करते हैं. एक तरफ आर्मी बैंड सैन्य अधिकारियों और युद्ध पर जाने वाले जवानों का बैंड की धुनों से हौसला बढ़ता हैं.
वहीं, दूसरी तरफ इसी बैंड के संगीतकार युद्ध में घायल होने वाले जवानों को दवाई देने और घायल जवानों को सुरक्षित वापस लाने का भी काम करते हैं. इसके लिए बकायदा इन संगीतकारों को प्रशिक्षण और जानकारी भी दी जाती है.