श्रीनगर: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भारतीय संघ के सशस्त्र बलों (Armed Forces of the Indian Union ) के सशस्त्र जवानों को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है. यह आदेश केंद्रीय अर्धसैनिक बलों पर भी लागू होता है. यह संरक्षण राज्य में धारा 370 के निरस्त होने के बाद लागू किया गया है, अब केंद्र सरकार की अनुमति के बिना किसी भी अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता (Armed personnel cant be arrested in Jammu and Kashmir) है. तीन साल पहले तक, जम्मू और कश्मीर राज्य में रणबीर दंड संहिता लागू था, जो सशस्त्र बलों के सदस्यों को आपराधिक संहिता, सीआरपीसी, 1973 की धारा 45 के तहत गिरफ्तारी से नहीं बचाता था.
.केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के कानून, न्याय और संसदीय मामलों के विभाग के साथ चर्चा के बाद उपरोक्त प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है. गृह मंत्रालय ने विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार से भी परामर्श किया है. सीआरपीएफ मुख्यालय समेत अन्य बलों ने उक्त आदेश जारी किया है. घटनाक्रम से अवगत सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि 2019 में, जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया गया था, तो ड्यूटी के दौरान होने वाली कोई भी घटना, सशस्त्र बलों के अधिकारियों को गिरफ्तारी से छूट देने का मार्ग प्रशस्त करती थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय में इस विषय पर काफी चर्चा हो चुकी है. जम्मू-कश्मीर में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें सशस्त्र बलों के जवानों को गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है.
आरआरपीएफ अधिकारी ने आगे कहा कि युवाओं को हिरासत में लेने की कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं. ऐसे गंभीर मामलों में सेना ने अपने जवानों की सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस से सख्ती से पेश आया है. एक सैनिक के रूप में किसी भी कर्तव्य के दौरान अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं करता है, वह केवल अपने अधिकारी के आदेशों का पालन करता है और निर्धारित (सौंपा गया) कर्तव्य करता है.