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बंगाल में अर्जुन चौरसिया ने की थी खुदकुशी, मौत को हत्या बताने वाले स्थानीय नेताओं से अमित शाह नाराज

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में अर्जुन चौरसिया की हत्या नहीं हुई थी, बल्कि उसने खुदकुशी की थी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है. बताया जा रहा है कि इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री बीजेपी के स्थानीय नेताओं से नाराज हैं, क्योंकि उन्हें अर्जुन चौरसिया की मौत के कारणों के बारे में झूठी रिपोर्ट दी गई थी.

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Published : May 11, 2022, 10:51 PM IST

कोलकाता : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बंगाल यात्रा के दौरान उत्तरी कोलकाता में अर्जुन चौरसिया की मौत हो गई थी. इस पर बीजेपी ने काफी हो-हल्ला मचाया था. हंगामे और तनाव के बीच गृह मंत्री अर्जुन चौरसिया के परिजनों से मिले थे. मगर अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कहानी में ट्विस्ट आ गया है. अलीपुर कमांड अस्पताल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह सामने आया है कि कथित भाजपा कार्यकर्ता अर्जुन चौरसिया की हत्या नहीं हुई थी बल्कि उसने खुद फांसी लगाकर जान दी थी. इस रिपोर्ट के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बंगाल के भाजपा नेताओं से नाराज हैं. खुफिया रिपोर्ट के जरिये अमित शाह के सामने यह भी तथ्य आया है कि अर्जुन भाजपा का कार्यकर्ता नहीं था, पिछले विधानसभा चुनाव में उसने तृणमूल कांग्रेस के लिए काम किया था. तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय विधायक अतिन घोष ने भी दावा किया था कि मृतक अर्जुन चौरसिया ने पिछले साल दिसंबर में तृणमूल के चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया था.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की थ्योरी की पुष्टि नहीं होने के बाद काफी अपसेट थे. पार्टी के राज्य नेताओं का कहना है कि अर्जुन चौरसिया की मौत और उसके प्रोफाइल के बारे में पार्टी की जिला ईकाई ने जानकारी जुटाई थी. इसके अलावा भाजपा नेताओं ने अर्जुन के परिजनों से भी बातचीत करने का दावा किया था. जिले के नेताओं की ओर से भेजे गए रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने गृह मंत्री को जानकारी दी थी. इसके बाद गृह मंत्री अर्जुन के परिजनों से मिले थे और उन्हें न्याय देने का आश्वासन दिया था.

गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार को जब केंद्रीय गृह मंत्री उत्तर बंगाल में थे तो चौरसिया की रहस्यमयी मौत पर बंगाल भाजपा ने जमकर बवाल किया था. भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस को शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने से भी रोका था. इस कारण कोसीपोर पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच खींचतान भी हुई थी. भाजपा ने सेंट्रल हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम कराने के लिए अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था क्योंकि उन्हें सरकारी अस्पतालों पर भरोसा नहीं था. अदालत के आदेश के बाद अलीपुर कमांड अस्पताल में एक शव परीक्षण किया गया, जिसमें हत्या का कोई सबूत नहीं मिला.

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