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Ariha Shah case: अरिहा के माता-पिता ने जर्मन सरकार से अरिहा को भारतीय समुदाय के साथ दिपावली मनाने देने की इजाजत मांगी - जर्मन सरकार

Ariha mother protested at Jantar Mantar: जर्मनी में 2 साल से फंसी अरिहा की मां ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने अरिहा को जर्मनी में भारतीय समुदाय के साथ दिपावली मनाने की इजाजत मांगी.

Delhi jantar Mantar protest
Delhi jantar Mantar protest

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 11, 2023, 8:26 PM IST

अरिहा की मां ने जंतर-मंतर पर किया प्रदर्शन

नई दिल्ली: जर्मनी के फॉस्टर होम में पीछले दो साल से रह रही भारतीय बच्ची अरिहा शाह का मामला एक बार फिर गरमा गया है. अरिहा की मां धारा शाह ने फिर से दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया. इस बार अरिहा के पिता भावेश शाह भी अपनी बेटी की वतन वापसी की मांग को लेकर धरने में शामिल हुए. इससे पहले अगस्त माह में भी अरिहा की मां धरने पर बैठी थी. तब उन्होंने अपनी बेटी को इंडियन कम्युनिटी के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाए दिए जाने की मांग की थी. ईटीवी भारत की टीम ने अरिहा की मां और पिता भावेश शाह से खास बातचीत की.

पहला सवाल: आज आप लोग फिर से जंतर मंत्र पर धरना देने के लिए आए. आज आपके साथ आपके पति भी हैं. आपकी क्या मांग है?

जवाब: अरिहा की मां ने कहा कि अरिहा अभी जर्मनी में है, जहां उसे फॉस्टर होम में देखभाल में रखा गया है, हमारी मांग है कि दीपावली के त्योहार को जर्मन में रह रही इंडियन कमेटी के साथ सेलिब्रेट करने की अनुमति दी जाए, ताकि वह अपनी भारतीय संस्कृति को जान पाए. अरिहा एक भारतीय नागरिक है. उसे अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक और धर्म के संरक्षण पालन का पूरा अधिकार है.

दूसरा सवाल: आपने अगस्त महीने में भी धरना दिया था और 15 अगस्त मनाने की मांग की थी, क्या अरिहा ने स्वतंत्रता दिवस मनाया था?

जवाब:जंतर मंतर पर हम लोगों ने पहले भी जर्मन एंबेसी के अधकारियों से मुलाकात की थी और अरिहा को स्वतंत्रता दिवस भारतीय समुदाय के लोगों के साथ सेलिब्रेट करने की मांग की थी. लेकिन नन्ही सी बच्ची को अपने लोगों के साथ स्वतंत्रता दिवस नहीं मानने दिया गया. हालांकि, इस बार उम्मीद है कि शायद जर्मन सरकार दीपावली का त्योहार हमारी बेटी को मनाने दें.

तीसरा सवाल: आप लोगों ने भारत सरकार से गुहार लगाई है और अधिकारियों से भी बातचीत की, क्या आपको कोई आश्वासन मिला है?

जवाब: भारत सरकार के अधिकारी पिछले महीने उससे मिलकर आए थे, लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ. भारतीय एंबेसी के अधिकारी अगर महीने में एक या दो बार मिलते तो समझ में आता. हमारी बच्ची कहां है किस फॉस्टर होम में है कोई जानकारी नहीं है. अरिहा की मां ने कहा कि अदालत के आदेश की अवमानना भी की जा रही है. जर्मन अदालत ने अरिहा के माता-पिता को महीने में दो बार मुलाकात की अनुमति दी थी, लेकिन पिछले तीन महीनों से किसी न किसी बहाने ये मुलाकात रद्द कर दी है.

चौथा सवाल:अरिहा के पिता, जर्मनी में आप नौकरी करते हैं आज आप भी जंतर मंतर आए, आपकी मांग क्या है?

जवाब:अरिहा के पिता ने बताया कि वह दूसरी बार जंतर मंतर पर धरना देने के लिए पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि दीपावली का त्योहार आने वाला है. उनकी मांग है कि उनकी बच्ची को भारतीय लोगों के साथ दीपावली का त्योहार मनाने की इजाजत दी जाए. कड़वी सच्चाई यह है की भारत की ये बच्ची एक वेतनभोगी जर्मन देखभालकर्ता की निगरानी में है. जिसका भारत या जैन धर्म से कोई संबंध नहीं है. उसे गुजराती या हिंदी भाषा पढ़ने की अनुमति भी नहीं दी गई है, जबकि उसके माता-पिता इसके लिए इंतजाम करने को तैयार है.

पांचवा सवाल: आज आप यहां पर आए, क्या कोई मेमोरेंडम भी जर्मन एंबेसी को सौंपेंगे?

जवाब: भावेश शाह ने बताया कि बुधवार को वह जर्मन अंबेसी जाएंगे. वहां पर एक मेमोरेंडम सौंपेंगे और मांग करेंगे की नन्ही सी बच्ची को भारतीय कम्युनिटी के साथ दीपावली मनाने दिया जाए. अरिहा को उसकी भारतीय विरासत से अलग किया जा रहा है. यदि उसे जर्मनी में भारतीय समुदाय के माध्यम से भी भारत के साथ संबंध बढ़ाने की अनुमति नहीं दी गई, तो वह दोहरे अलगाव की स्थिति में जर्मन पालन-पोषण की देखभाल से बाहर हो जाएगी. इसके बाद न तो वह जर्मन नागरिक होगी और ना ही अपने देश की.

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