हैदराबाद:'गारंटीड इनकम स्कीम' (guaranteed income scheme) कई ऐसी योजनाएं हैं, जिसने साथ लाइफ इंश्योरेंस भी कवर होता है. साथ ही, इन स्कीम में पहले से पता होता है कि एक समय के बाद कितना पैसा मिलेगा. यानी पैसे के बढ़ने की गारंटी भी होती है. ऐसी स्कीम रिस्क से भी बचाती है, इसलिए जो लोग जोखिम बिल्कुल भी लेना नहीं चाहते हैं और नियमित प्रीमियम जमा करने पर निश्चित रिटर्न की उम्मीद करते हैं, उन्हें गारंटी रिटर्न वाली स्कीम में निवेश करना चाहिए. जो लोग अपने निवेश में जोखिम ले सकते हैं वे भी इनकम गारंटी स्कीम चुन सकते हैं क्योंकि इससे थोड़ा अधिक रिटर्न मिल सकता है.
इनकम डेफिसिट रिप्लेसमेंट (Income deficit replacement) :रिटायरमेंट के बाद अमूमन इनकम घट जाती है, इसलिए रिटायर होने के बाद भी रेग्युलर इनकम की व्यवस्था करनी चाहिए।. रेवेन्यू गारंटी योजनाओं के बारे में कहा जाता है कि ये आपकी बेसिक इनकम के पूरक होते हैं और परिवार की जरूरतों को पूरा करते हैं. इसका नतीजा यह है कि रिटायरमेंट के बाद भी पर फाइनेंशियल प्रेशर कम रहता है.
इन पॉलिसियां आपकी जरूरतों और फाइनेंशियल गोल को पूरा कर सकती हैं. इन पॉलिसीज में प्रीमियम भुगतान अवधि, प्रीमियम जमा करने का प्रोसेस और संभावित आय की पूरी जानकारी होती है, इसलिए अपने विवेक के आधार पर पॉलिसी का चुनाव करें. आवश्यकता पड़ने पर इससे होने वाली इनकम से बच्चों की शिक्षा, उनकी शादी और अन्य महत्वपूर्ण काम को निपटाने में मदद मिलती है.
यह कैसे काम करता है:पहले यह तय करने की आवश्यकता है कि आप कब पॉलिसी से पैसा कब वापस लेना चाहते हैं. पॉलिसी की वैल्यू की गणना पॉलिसीधारक की उम्र के आधार पर की जाती है. फिर संभावित रिटर्न के आधार पर प्रीमियम की दर होती है. कई पॉलिसी फ्लेक्सिबल होती हैं, इसके हिसाब से भी रिटर्न प्रभावित होता है जबकि कुछ कुछ पॉलिसियों में आय फिक्स होती हैं. कुछ मामलों में समय के साथ इनकम में एक निश्चित प्रतिशत की वृद्धि होती है.