नई दिल्ली : आमतौर पर कहा जाता है कि अप्रैल फूल डे मनाने की परंपरा साल 1381 से तब शुरू हुयी जब इन दिन इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी ऐनी ने अपनी सगाई का ऐलान करते हुए लोगों को एक जश्न मनाने का मौका दिया था. लेकिन इसकी खास बात यह थी कि इसके लिए उन्होंने सगाई की तारीख 32 मार्च सुनिश्चत कर दी. लोगों ने 31 मार्च के अगले दिन (अर्थात 1 अप्रैल को) राजा-रानी के लिए खास कहे जाने वाले इस मौके का जश्न मनाना शुरू कर दिया. काफी देर बाद लोगों को अपनी गलती का एहसास हुआ तब लोगों को लगा कि 32 मार्च जैसी कैलेंडर में कोई तारीख ही नहीं होती है.
बताया जाता है कि इस तरहा का जश्न मना रहे लोगों को काफी देर के बाद एहसास हुआ कि वे लोग बेवकूफ बना दिए गए हैं. इसके बाद से इस दिन को अप्रैल फूल डे के रूप में मनाना शुरू कर दिया गया है.
वहीं एक मान्यता ये भी है कि साल 1582 में चार्ल्स पोप ने फ्रांस में पुराने कैलेंडर को बदलने का फरमान सुना दिया था. उसकी जगह एक नया रोमन कैलेंडर लॉन्च करने की जानकारी भी सार्वजनिक करने का ऐलान किया गया, लेकिन चार्ल्स पोप के फरमान से अनजान बने बहुत सारे लोगों ने अपने पुराने कैलेंडर के हिसाब से ही ये दिन बिताना शुरू किया. इसके बाद से फ्रांस में भी 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा.