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पीएम-केयर्स फंड का इस्तेमाल कर सभी 738 जिलों में चिकित्सकीय संयंत्र स्थापित करने को लेकर अर्जी

पीएम-केयर्स फंड के तहत मिले प्राप्त दान का उपयोग करके कोविड​​​​-19 टीकों की तत्काल खरीद और 738 जिलों में से प्रत्येक में तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन (एलएमओ) संयंत्र की स्थापना कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है.

pm Cares Fund
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Published : May 15, 2021, 9:29 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करके महामारी से प्रभावित देश के लिए विभिन्न राहत उपायों का अनुरोध किया गया है, जिसमें पीएम-केयर्स फंड के तहत मिले प्राप्त दान का उपयोग करके कोविड​​​​-19 टीकों की तत्काल खरीद और 738 जिलों में से प्रत्येक में तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन (एलएमओ) संयंत्र की स्थापना करना शामिल है.

याचिकाकर्ता ने याचिका में केंद्र, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), पीएम-केयर्स फंड और सभी राज्यों को पक्षकार बनाया है.

अधिवक्ता विप्लव शर्मा की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है, '(पीएम केयर्स फंड को) पहले.... कोविड-19 टीके, ऑक्सीजन संयंत्र या जेनरेटर की तत्काल खरीद (आयात करके और या किसी अन्य तरीके से) इस्तेमाल और उसके बाद 738 जिला सरकारी अस्पतालों में तत्काल स्थापना करने का निर्देश दें.'

याचिका में कहा गया है कि गरीब नागरिकों को मुफ्त में ऑक्सीजन मिलनी चाहिए.

याचिका अगले सप्ताह सुनवाई के लिए आ सकती है. इसमें केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि सभी निजी और धर्मार्थ अस्पताल भी मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए संयंत्र स्थापित करें.

इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सभी शहरों में विद्युत और अन्य श्मशान स्थापित करने और मौजूदा विद्युत श्मशानों की स्थिति को बनाए रखने और सुधार करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि संसद और विधानसभाओं के सदस्यों को निर्देश दिया जाए कि वे अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों की सेवा के लिए पूरी पारदर्शिता के साथ अपनी राशि को अनुशासित तरीके से खर्च करें.

याचिका में कहा गया है, 'केंद्र, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारें यह सुनिश्चित करें कि उनके संबंधित प्रशासनिक क्षेत्र में स्थित सभी अस्पताल पर्याप्त साधन और रसद से लैस हों जिससे वे कोविड मरीजों को चिकित्सकीय ऑक्सीजन, टीके प्रदान कर सकें और सभी संबंधितों की न्यायिक जवाबदेही हो जो कि इस न्यायालय द्वारा उचित आदेश/निर्देशों के माध्यम से ही संभव है.'

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