नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में निजी स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष 2019-20 के लिए राजस्थान स्कूल (फीस का विनियमन) अधिनियम 2016 के तहत निर्धारित छात्रों से वार्षिक स्कूल फीस लेने की अनुमति दी है.
जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने स्कूलों को निर्देश दिया कि शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के दौरान छात्रों द्वारा सुविधाओं का उपयोग नहीं किए जाने के एवज में फीस में 15 प्रतिशत की कटौती करें.
देश की सर्वोच्च अदालत ने इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान राज्य और इससे जुड़े मामले निर्देश दिया कि अपीलकर्ता (संबंधित गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों का प्रबंधन) शैक्षणिक वर्ष 2019-20 के लिए राजस्थान स्कूल (फीस का विनियमन) अधिनियम 2016 के तहत तय वार्षिक स्कूल फीस छात्रों से लिया जाएगा, लेकिन सुविधाओं का उपयोग नहीं होने के एवज में वार्षिक फीस में 15 प्रतिशत की कटौती की जाए.
वहीं, निजी स्कूल प्रबंधन ने शैक्षणिक वर्ष 2020-21 की स्कूल फीस के मामले में शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के साथ, मार्च 2020 से महामारी (लॉकडाउन) के कारण संबंधित बोर्डों द्वारा पाठ्यक्रम की कमी को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों द्वारा 70 प्रतिशत ट्यूशन फीस तक सीमित और स्कूल से 60 प्रतिशत फीस सहित स्कूल फीस के संग्रह को रोकने के सरकारी आदेशों को चुनौती दी गई थी. उच्च न्यायालय ने सरकार के आदेश को बरकरार रखा.
निम्नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं:
1. संबंधित छात्रों द्वारा फीस 08.08.2021 के आदेश के अनुसार 05.08.2021 से पहले छह समान मासिक किस्तों में भुगतान किया जाना चाहिए.