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Terrorist Activities in UP : लखनऊ में बिना पुलिस वेरिफिकेशन के रिजवान के अलावा रह रहे थे कई आतंकी

राजधानी लखनऊ में आतंकी रिजवान की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं. किराएदारों के भेष में रहने वाले आतंकियों की खोज पुलिस के लिए चुनौती भी है. ऐसे में लोगों को अपने स्तर से सतर्क होकर पुलिस वेरीफिकेशन कराना होगा. दरअसल रिजवान की तरह भी लखनऊ में पहले भी कई आतंकी रह रहे थे. देखें विस्तृत खबर.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 5, 2023, 1:49 PM IST

लखनऊ में रिजवान के अलावा रह रहे थे कई आतंकी. देखें खबर

लखनऊ : आतंकी रिजवान उर्फ मौलाना अपने परिवार के साथ लखनऊ के सआदतगंज इलाके में किराए के मकान में रह रहा था. मकान मालिक ने रेंट एग्रीमेंट तो करवा लिया, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन करवाया ही नहीं. लिहाजा वह आठ दिनों से इस मकान में रह रहा था. वर्ष 2017 में ठाकुरगंज इलाके में एनकाउंटर में मारा गया आईएसआईएस आतंकी सैफुल्ला भी किराए के मकान में रहता रहा, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन न होने की वजह से उसके विषय में किसी को भी भनक तक नहीं लग सकी. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आम लोग और पुलिस किरायेदारों के वेरिफिकेशन पर ध्यान क्यों नहीं दे रहे हैं.

गिरफ्तार किए गए आतंकी रिजवान व अन्य. फाइल फोटो
लखनऊ में आतंकी गतिविधियां.


दो महीने में हर किरायेदारों का वेरिफिकेशन करने की थी डेडलाइन


राजधानी में करीब तीन माह पहले संयुक्त पुलिस आयुक्त लॉ एंड ऑर्डर उपेंद्र अग्रवाल ने सख्त निर्देश देते हुए किरायेदारों के लिए पुलिस वेरिफिकेशन को अनिवार्य रूप से कराने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि धारा 144 के तहत 26 अगस्त से यह लागू हो चुका है और दो महीने के अंदर सभी मकान मालिक किराएदार का सत्यापन करवा लें. उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई इन नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी. बावजूद इसके मोहम्मद रिजवान उर्फ मौलाना एक माह पहले मकान किराए पर लेता है और आठ दिन पहले ही अपने परिवार के साथ बेखौफ होकर रहने लगता है. मकान मालिक पेशे से डॉक्टर थे उसके बाद भी पुलिस वेरिफिकेशन के लिए अप्लाई नहीं किया.

लखनऊ में आतंकी सैफुल्ला. फाइल फोटो
लखनऊ में आतंकी गतिविधियां.





दरअसल, आजमगढ़ का रहने वाला रिजवान प्रयागराज में कई महीनों से रह रहा था. करीब एक माह पहले ओलेक्स के जरिए उसने लखनऊ के आईआईएम रोड पर रहने वाले डॉ. जिया उल हक से संपर्क किया. जिया उल हक का सआदतगंज थाना अंतर्गत कैंपबल रोड पर मकान किराए के लिए खाली थी. दोनों के बीच बातचीत हुई और कंप्यूटर साइंस से बीटेक किए रिजवान ने खुद को एक आर्युवेद कंपनी में नौकरी करने की बात बता कर मकान किराए पर ले लिया. आठ दिन पहले वह अपनी पत्नी, तीन बच्चों, कुछ समान व एक बाइक को लेकर रहने आ गया था. इस दौरान मकान मालिक ने रेंट एग्रीमेंट तो तैयार कर लिया, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन के लिए कोई भी कार्रवाई नहीं की. हालांकि जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने रिजवान को लखनऊ के इसी मकान से गिरफ्तार किया तब डॉ. जियाउल ने कहा कि वह वेरिफिकेशन के लिए अप्लाई करने वाले थे.

लखनऊ के इसीू मकान में रह रहा था आंतकी रिजवान.


लखनऊ में सिर्फ तीन हजार किरायदारों का पुलिस वेरिफिकेशन

लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में हॉस्टल, पीजी और किराए पर मकान उठे हैं. अनुमानित किराए पर मकानों की संख्या 60 हजार से अधिक है. इसके बावजूद पुलिस वेरिफिकेशन महज तीन हजार ही हुए हैं. ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि अन्य किराएदारों का वेरिफकेशन क्यों नहीं हुआ है. आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 से अब तक 51 हजार 147 किरायेदारों का पुलिस वेरिफिकेशन हुआ है. वहीं वर्ष 2019 से अब तक कुल 62 हजार 202 किरायेदारों का पुलिस वेरिफिकेशन किया गया. जबकि यह संख्या लखनऊ में सिर्फ तीन हजार ही है.







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