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आंध्र प्रदेश में सात किलो वजनी 'अदरक' की हो रही चर्चा - सात किलो वजनी अदरक

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में सात किलो वजन के अदरक (Mango Ginger) के गुच्छे की इन दिनों चर्चा हो रही है. एक साधारण किसान ने घर के पीछ की जमीन पर इसका उत्पादन किया है. अदरक की इस किस्म को मैंगो जिंजर (Mango Ginger) कहते हैं और यह हल्दी जैसी दिखती है.

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आंध्र प्रदेश में सात किलो वजनी 'अदरक'

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Published : Mar 26, 2022, 7:17 PM IST

अमरावती : आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में एक किसान ने सात किलो वजन की अदरक (Mango Ginger) का उत्पादन किया है. मोपीदेवी मंडल के शिवरामपुरम गांव के रहने वाले किसान नागेश्वर राव ने अपने घर के पीछ की जमीन पर अदरक की खेती की थी. साधारण किसानी से सात किलो से ज्यादा वजन की अदरक का उत्पादन करने वाले नागेश्वर राव की इलाके में चर्चा हो रही है. उन्होंने कहा कि घर पर उगाई जाने वाली अदरक में रासायनिक खाद का उपयोग नहीं किया जाता है, इसे जैविक रूप से ही उगाया जाता है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि आम तौर पर किसानों द्वारा खेत में उगाए जाने वाले अदरक के गुच्छों का वजन एक से दो किलोग्राम होता है.

सात किलो वजनी 'अदरक'

हाल ही में कृष्णा जिले के चल्लापल्ली में आयोजित किसान मेले में सात किलो वजनी अदरक का गुच्छा विशेष आकर्षण था. किसानों का कहना है कि आम तौर पर इस अदरक का इस्तेमाल अचार के लिए किया जाता है. इसकी कीमत 50 रुपये प्रति किलो तक है. अदरक की इस किस्म को मैंगो जिंजर (Mango Ginger) कहते हैं और यह हल्दी जैसी दिखती है. घंटाशाला कृषि विज्ञान केंद्र में बागवानी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वी. मंजुवानी ने कहा कि हल्दी की फसल की अवधि 7 से 9 महीने तक होती है, जबकि मैंगो जिंजर की फसल सिर्फ छह महीने में ही तैयार हो जाती है. मंजुवानी ने कहा कि मैंगो जिंजर को करकुमा मनग्गा (Curcuma Mangga) के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने कहा कि मैंगो जिंजर के गुच्छे का इतना अधिक वजन बहुत ही कम होता है.

सात किलो वजनी 'अदरक'

बता दें, मैंगो जिंजर, अदरक की एक ऐसी प्रजाति है जो हल्दी (Curcuma longa) से मिलती जुलती है. इसका स्वाद आम अदरक के समान ही होता है, लेकिन इसमें कड़वाहट या तीखापन कम होता है. इसके बजाय इसमें कच्चे आम का स्वाद होता है. मैंगो जिंजर का उपयोग दक्षिण भारत में अचार और उत्तर भारत में चटनी बनाने में किया जाता है. इसे नेपाल के दक्षिणी मैदानी इलाकों में सामुदायिक दावतों में चटनी के रूप में परोसा जाता है.

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