नई दिल्ली : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (former AIIMS director dr Randeep Guleria) का कहना है कि भारत में इस्तेमाल हो रहे कोविड-19 रोधी टीके कोरोना वायरस के मूल वुहान स्वरूप के खिलाफ कारगर तो हैं ही, लेकिन नए स्वरूप के उभरने के साथ अगर फिर से 'बूस्टर' (एहतियाती) खुराक की आवश्यकता महसूस होती है, तो ये टीके वायरस के मौजूदा स्वरूपों के साथ-साथ भविष्य के स्वरूपों के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होने चाहिए.
एक साक्षात्कार में यह पूछे जाने पर कि क्या लगभग एक साल बाद कोविड-19 के मामलों में हालिया उछाल के बीच यह एक और एहतियाती खुराक लेने का समय है, उन्होंने आंकड़ों के दो सेट तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया-पहला यह पता लगाने के लिए कि क्या प्रतिरक्षा कमजोर हो रही है और दूसरा कि क्या टीकों में सुधार करने की आवश्यकता है. गुलेरिया ने कहा, 'भारत में मौजूदा समय में जो टीके लगाए जा रहे हैं, वे वायरस के मूल वुहान स्वरूप के खिलाफ कारगर हैं. इसके बाद वायरस के कई स्वरूप आए. लिहाजा हमें एक नए टीके की आवश्यकता है, जो वायरस के मौजूदा स्वरूपों पर कारगर हो, जैसा कि हम इन्फ्लुएंजा के मामलों में करते हैं.'
जाने-माने श्वसन रोग विशेषज्ञ गुलेरिया राष्ट्रीय कोविड-19 कार्य बल का हिस्सा थे. उन्होंने ऐसे टीके विकसित करने के लिए अनुसंधान की आवश्यकता को रेखांकित किया, जो न सिर्फ वायरस के मौजूदा स्वरूपों पर कारगर हों, बल्कि भविष्य के संभावित स्वरूपों से भी प्रतिरक्षा प्रदान करने में सक्षम हों. गुलेरिया की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा के लिए बुधवार को उच्च स्तरीय बैठक की और सार्वजनिक स्वास्थ्य की तैयारियों का जायजा लिया.
वायरस के नए एक्सबीबी.1.16 स्वरूप के कारण कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं. एक्सबीबी.1.16 स्वरूप को 'वायरस का नया-नवेला स्वरूप' बताते हुए गुलेरिया ने कहा, 'नए-नए स्वरूप आते रहेंगे, क्योंकि वायरस समय के साथ लगातार बदल रहा है, लेकिन 'इससे मरीजों में गंभीर लक्षण उभरने, उनके अस्पताल में भर्ती होने और दम तोड़ने' के मामले सामने नहीं आ रहे हैं. यह ठीक है, क्योंकि अगर मरीजों में संक्रमण के हल्के लक्षण दिखते हैं, तो इसका मतलब यह है कि लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है.'