पटना :कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर जांच स्टैंडर्ड जांच मानी जाती है. लेकिन कोरोना संक्रमण की दूसरे लहर में इसकी एक्यूरेसी कम हो गई है और एंटीजन किट की एक्यूरेसी ज्यादा है. ऐसा कहना है पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह का.
डॉक्टर नारायण ने बताया कि अस्पताल में कोरोना के एंटीजन किट के जांच को लेकर एक रिसर्च हुआ. इसमें यह पाया गया है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट की तरह अगर एंटीजन किट से जांच में दोनों स्वॉब लिए जाएं तो एंटीजन किट की जांच ज्यादा बेहतर होगी.
डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह से बातचीत उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर में देश में एंटीजन किट से जांच काफी अधिक हुए थे. जांच का लगभग 85% एंटीजन किट का जांच रहता था. यही वजह थी कि पहले लहर को आसानी से कंट्रोल कर लिया गया.
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण ने कहा,'आरटी पीसीआर से जांच में काफी समय लग जाता है. आरटी पीसीआर जांच के लिए सैंपल की टेस्टिंग 6 से 8 घंटे तक होती है मगर दूरदराज के इलाके से सैंपल को लैब तक पहुंचने में ही 2 दिन का समय लग जाता है और सैंपल के नंबरिंग करने में भी 8 से 10 घंटे लग जाते हैं. ऐसे में सैंपल कलेक्शन से लेकर जांच का रिपोर्ट आने तक 4 से 5 दिन का समय लग जाता है. ऐसी स्थिति में जिन मरीजों की स्थिति गंभीर होती है वह और ज्यादा बिगड़ जाती है.'
डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने बताया-आरटी-पीसीआर जांच जीन आधारित टेस्ट है. जिसमें कुछ शर्टेन जीन लिए जाते हैं. दो जीन लिए जाते हैं और उसी से टेस्टिंग की जाती है. जिसमें पता चलता है कि रिपोर्ट पॉजिटिव है या निगेटिव. अभी के समय में वायरस का काफी म्यूटेशन हो रहा है ऐसे में वायरस का जीनोम बदल रहा है और जीन का जब वेरिएशन होगा तब जीन का नेचर चेंज हो जाएगा और इस वजह से वह पॉजिटिव है या नेगेटिव पकड़ में नहीं आएगा. यही वजह है कि कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर में आरटी- पीसीआर रिपोर्ट की एक्यूरेसी घट गई है.
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डॉक्टर सत्येंद्र नारायणने ये भी बताया कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं. जिसमें एंटीजन किट से रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. मरीज में संक्रमण के लक्षण मौजूद है और आरटी- पीसीआर रिपोर्ट में रिपोर्ट नेगेटिव आई है.
'आरटी-पीसीआर जांच ज्यादा कारगर नहीं'
सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि यही वजह है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में आरटी-पीसीआर जांच ज्यादा कारगर नहीं है और संक्रमण को रोकने के लिए सरकार को चाहिए कि अधिक से अधिक एंटीजन किट से जांच कराए और सैंपल के लिए स्वॉब नाक और मुंह दोनों से कलेक्ट किया जाए. ताकि अधिक से अधिक संक्रमण का पता चले और मरीज को आइसोलेट कर संक्रमण पर काबू पाया जाए.