देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र (uttarakhand assembly winter session) संपन्न हो गया है. दो दिन तक चले इस सत्र में कार्यवाही काफी हंगामेदार रही. इस दौरान विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा. शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन में छह नए विधेयक रखे गए. वहीं, पहले दिन सदन के पटल पर दस विधेयक आए थे. इनमें से दो विधेयक आज पास हुए.
पास होने वाले विधेयकों में महिला क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण विरोधी विधेयक (Anti conversion bill passed in Uttarakhand) शामिल रहे. विधेयक पास होने के बाद अब ये दो कानून बन गए हैं. जल्द ही इन्हें लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी जाएगी.
धर्मांतरण विरोधी विधेयक हुआ पारित: धर्मांतरण विरोधी विधेयक के पारित होने के बाद सीएम धामी ने इस पर बयान दिया. सीएम धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में इस कानून से प्रदेश में सौहार्दपूर्ण माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि धर्मांतरण कानून से सभी को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक आजादी का अधिकार मिलेगा. सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश में धर्मांतरण कानून के अस्तित्व में आते ही ये अब संज्ञेय व गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आ जाएगा.
क्या होगा प्रावधान: उत्तराखंड में यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है तो उसे दो महीने पहले जिलाधिकारी को अर्जी देनी होगी. धर्म परिवर्तन करने की अर्जी देने के 21 दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति को डीएम के समक्ष पेश होना पड़ेगा. इसके अलावा जबरन धर्मांतरण की शिकायत कोई भी व्यक्ति दर्ज कर सकता है. प्रदेश में जबरन धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 को सदन पटल पर रखा है. इस विधेयक में जबरन धर्मांतरण पर सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है.
उत्तराखंड में धर्मांतरण के मामले: यह कानून लागू होने के बाद से प्रदेश में अब तक धर्मांतरण के सिर्फ 5 मामले दर्ज हुए हैं और इन मामलों की जांच पुलिस कर रही है. दरअसल, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में तेजी से गैर-हिंदुओं की मौजूदगी बढ़ रही है. ज्यादातर यह संख्या हरिद्वार, उधम सिंह नगर, देहरादून जिलों में है. लेकिन सबसे बड़ी बात है कि उत्तराखंड में धर्मांतरण को लेकर अब तक सिर्फ 5 मामले पुलिस में दर्ज किए है. इसमें तीन हरिद्वार से और दो देहरादून से मामले दर्ज किए गए हैं. ये सारे मामले 2018 में बने धर्मांतरण कानून को लेकर दर्ज किए गए हैं. यानी इससे पहले हुए धर्मांतरण का कोई पुलिस के पास रिकॉर्ड नहीं है.