दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

केरल के इस मंदिर में प्रवेश पाने को मर्द बनते हैं औरत, रोचक है कथा - men dress up as women

केरल के कोल्लम जिले में स्थित श्री कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर में प्रसिद्ध चमायाविलक्कू उत्सव मनाया गया. इस दौरान सैकड़ों महिलाओं के वेष में मंदिर में पूजा अर्चना की. चमायाविलक्कू उत्सव हर साल मनाया जाता है, जो दो दिनों तक चलता है.

Kottankulangara Temple kerala
कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर केरल

By

Published : Mar 25, 2023, 10:21 AM IST

कोल्लम:आपने ऐसे मंदिरों के बारे में तो जरूर सुना होगा, जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित होता है लेकन आज हम आपको केरल के एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर प्रवेश करने और पूजा करने के लिए पुरुषों को महिलाओं के वस्‍त्र पहनने पड़ते हैं और महिलाओं की तरह श्रृंगार भी करना पड़ता है. इस मंदिर का नाम है श्री कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर, जो केरल के कोल्‍लम जिले में स्थित है.

केरल के कोल्लम जिले में स्थित श्री कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर में प्रसिद्ध चमायाविलक्कू उत्सव मनाया गया. इस दौरान सैकड़ों पुरुषों ने महिलाओं के सज संवरकर मंदिर में पूजा अर्चना की. यह केरल का एकमात्र मंदिर है जहां पुरुष, महिलाओं के वस्‍त्र पहनकर देवी मां की पूजा करते हैं. यह मंदिर थिरुविथमकुर देवास्वोम बोर्ड के तहत आता है. कहा जाता है कि मंदिर की पहली पूजा ग्वालों के एक समूह द्वारा महिलाओं के कपड़े पहने हुए आयोजित की थी.

यह मंदिर अपनी इस खास परंपरा के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. आप यह जानकर अचंभा होगा कि इस मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है. मंदिर के गर्भगृह के ऊपर छत या कलश नहीं हैं. हर साल आयोजित होने वाले दो दिवसीय इस उत्सव में बड़ी संख्या में पुरुष भक्त शामिल होते हैं. इस साल भी पुरुषों ने महिलाओं की तरह पारंपरिक पोशाक पहनी और देवी का आशीर्वाद मांगा. औपचारिक जुलूस और अनुष्ठान दोनों दिन आधी रात तक चलते हैं. यह त्योहार मलयालम महीने मीनम की दसवीं और ग्यारहवीं तारीख को मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें-केरल की पहली महिला ट्रांसजेंडर वकील बनीं पद्मा लक्ष्मी, शेयर किया अनुभव

कोटंकुलंगरा मंदिर की अवधारणा:कहा जाता है कि एक समय कुछ बच्चे चरवाहों को एक नारियल मिला, तो बच्चों ने उस नारियल को पत्थर से तोड़ने की कोशिश की. तभी अचानक उस पत्थर से खून की धारा निकलने लगी. बच्चों ने अपने परिवार को सूचित किया. मौके पर ज्योतिषी को बुलाया गया. ज्योतिषी पत्थर को जांचा तो पता चला कि पत्थर में वनदुर्गा की दिव्य ऊर्जा थी. ज्योतिषी ने स्थानीय लोगों को इसके चारों ओर एक मंदिर बनाने की सलाह दी. तब से वहां प्रतिदिन नारियल चढ़ाया जाता है और देवी को अर्पित किया जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details