पटनाः प्रदेश के प्राइवेटमेडिकल कॉलेजों ने वार्षिक फीसमें ढाई लाख से साढ़े 3 लाख रुपए तक की बढ़ोतरी (Annual fees increased in Private medical colleges) की है. अब नए शैक्षणिक सत्र में जो नीट यूजी 2021 के माध्यम से छात्र दाखिला लेंगे उन्हें बढ़ा हुआ फीस देना होगा. उदाहरण के तौर पर कटिहार मेडिकल कॉलेज (Katihar Medical College Fees) की बात करें तो 2020 में जहां एमबीबीएस के लिए सालाना 12.38 लाख रुपये फीस थी, वह अब बढ़कर 14.55 लाख रुपए सालाना हो गई है.
इसी प्रकार नारायण मेडिकल कॉलेज सासाराम की फीस 15.51 लाख रूपए से बढ़कर 17.24 लाख रुपए हो गई है. मधुबनी मेडिकल कॉलेज और नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज पटना ने 5-5 लाख रुपए सालाना की दर से अपनी फीस में बढ़ोतरी की है. इस स्थिति में मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों और अभिभावकों का कहना है कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे. सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाए और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले गरीब छात्रों के लिए सब्सिडी की व्यवस्था करे.
पटना के बोरिंग रोड इलाके के एक इंस्टीट्यूट में मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्र धीरज कुमार ने कहा कि यदि नीट परीक्षा में उनका अंक 550 से 610 के बीच रहता है तो उन्हें सरकारी कॉलेज नहीं मिलेगा लेकिन प्राइवेट के अच्छे कॉलेज आसानी से उन्हें मिल जाएंगे. उनके फैमिली का इनकम अच्छा नहीं है और कोरोना के कारण आर्थिक हालत कमजोर हुई है. ऐसे में वह चाह कर भी प्राइवेट कॉलेज में दाखिला नहीं करा पाएंगे और उनके सपने टूट जाएंगे. उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करेंगे कि सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करें और प्राइवेट कॉलेज की फीस को कम करने के साथ-साथ सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ानी चाहिए.
नीट परीक्षा 2021 में 586 अंक प्राप्त करने वाली तान्या कुमारी ने कहा कि वह जनरल कैटेगरी से आती हैं. ऐसे में इतने अच्छे अंक होने के बावजूद उन्हें सरकारी कॉलेज नहीं मिल रहा है. उन्हें अच्छे और बड़े प्राइवेट कॉलेज उन्हें आसानी से मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्राइवेट कॉलेज का फीस इतना अधिक है कि वह उसे अफोर्ड नहीं कर सकती हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें एमबीबीएस को छोड़कर कोई अन्य कोर्स का विकल्प तलाशना होगा या फिर 1 साल फिर से और अच्छे अंक लाने के लिए तैयारी करनी होगी.
तान्या कहती हैं कोरोना के कारण उनके परिवा की की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है. ऐसे में वह सरकार से अपील करेंगी की प्राइवेट कॉलेजों की फीस बढ़ोतरी के मामले को सरकार देखे और उसे कंट्रोल करें. वहीं, अभिभावक सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए सरकार इस प्रकार की पहल कर सकती है कि यदि कोई टैक्सपेयर का बच्चा किसी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है तो उसे 15 से 20 फीसदी फीस में छूट दी जाए.
इससे टैक्स देने वालों में एक उत्साह बढ़ेगा और टैक्स देने वालों की संख्या भी बढ़ेगी. गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे नेट क्वालीफाई करते हैं. अगर कुछ अंकों की कमी की वजह से सरकारी कॉलेज उन्हें नहीं मिल पाता है. ऐसे में बच्चे की प्रतिभा के आधार पर फीस में कुछ छूट दी जानी चाहिए या फिर सरकार की तरफ से ऐसे बच्चों के लिए कुछ सब्सिडी का प्रावधान होना चाहिए.