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MP: लगातार हो रहे वन्य प्राणी हादसों का शिकार, बिना वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस के हो रहे रिजर्व फॉरेस्ट में विकास कार्य.. वन विभाग के पास रिकार्ड नहीं - wildlife clearance for last 10 years

एमपी में हर साल कई वन्य प्राणी हादसों का शिकार होते है, बावजूद इसके बिना वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस के रिजर्व फॉरेस्ट में विकास कार्य हो रहे है. हैरानी की बात ये है कि वन विभाग के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है.

animal accidents in MP
लगातार हो रहे वन्य प्राणी हादसों का शिकार

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 22, 2023, 9:43 PM IST

Updated : Sep 22, 2023, 9:55 PM IST

लगातार हो रहे वन्य प्राणी हादसों का शिकार

सागर। एक तरफ आम जनता के खिलाफ वन विभाग कडे़ और सख्त कानून के साथ पेश आता है और दूसरी तरफ रिजर्व फॉरेस्ट और वनभूमि पर होने वाले निर्माण कार्यों में लापरवाही बरतता है, इसी वजह से हर साल दर्जनों वन्य प्राणी जहां हादसों का शिकार हो रहे हैं. वहीं हजारों पेड़ काटे गए हैं, इसका खुलासा आरटीआई के जरिए हुआ है, जिससे पता चला है कि पिछले 10 सालों में वनक्षेत्र में होने वाले निर्माण कार्यों के लिए जो वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस दी गयी है, उसका वन विभाग के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है. हालत ये है कि अब वन विभाग ने सभी टाइगर रिजर्व और सेंचुरी के अलावा रिजर्व फॉरेस्ट को नोटिस भेज कर जबाब मांगा है. वहीं दूसरी तरफ वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट वनविभाग के लापरवाह रवैये के खिलाफ भारत सरकार को शिकायत करने के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं.

क्या है मामला:दरअसल वन और वन्यजीवों के लिए समर्पित संस्था प्रयत्न के संयोजक अजय दुबे ने आरटीआई के जरिए वनविभाग से जानना चाहा था कि पिछले 10 सालों में वनविभाग ने वनक्षेत्र खासकर टाइगर रिजर्व, सेंचुरी और नेशनल पार्क में निर्माण कार्य के लिए वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस दिए हैं, उनका रिकार्ड उपलब्ध कराए. लेकिन वनविभाग के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है कि किन आधार पर इन प्रोजेक्ट्स के लिए वन विभाग ने क्लीयरेंस दिया है. जबकि वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भी भेजना होती है, ये खुलासा होने के बाद वन विभाग ने आनन-फानन में सभी वनमंडल, टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और सेंचुरी के लिए आदेश जारी कर जानकारी मांगी है.

क्या महत्व है वनविभाग के क्लीयरेंस का:मध्यप्रदेश की बात करें तो देश में सर्वाधिक वनक्षेत्र होने के साथ टाइगर स्टेट, लेपर्ड स्टेट और चीता स्टेट के अलावा कई वन्यजीवों के संरक्षण के लिए जाना जाता है, ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश के वनक्षेत्र जिनमें टाइगर रिजर्व, अभ्यारण्य, वनमंडल के वनक्षेत्र में रेललाइन, सड़क, बांध, पावर प्रोजेक्ट जैसी निर्माण परियोजनाओं के लिए वनविभाग से क्लीयरेंस लेना होता है, जो शर्तों के आधार पर दिया जाता है, तब जाकर वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस जारी होता है. क्लीयरेंस की शर्तों का प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य प्राणी मुख्यालय और मैदानी अमलों द्वारा समय- समय पर निरीक्षण किया जाता है और कमी पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है, इसके बाद वनविभाग सर्टिफिकेट जारी करता है, जिसे भारत सरकार के वन और पर्यावरण मंत्रालय को भी भेजा जाता है.

क्या आधार होता है वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस का:दरअसल वनक्षेत्र में होने वाले निर्माण कार्य और विभिन्न विकास परियोजनाओं में वन एवं वन्य प्राणियों को नुकसान ना पहुंचे, इसके लिए mitigation measures निर्धारित किए गए हैं. जैसे- सड़क और रेल लाइन के निर्माण के साथ वन्य प्राणियों के सुरक्षित आवागमन के लिए भी स्थायी व्यवस्था की जाए, जिनमें अंडर ब्रिज और अन्य तरह के निर्माण किए जाते हैं. वहीं निर्माणाधीन परियोजना में हरे वृक्षों की न्यूनतम कटाई करने के अलावा जरूरत पडने पर पेड़ो को ट्रांसप्लांट करने का भी प्रावधान है, लेकिन मध्यप्रदेश वन विभाग के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है.

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सभी डीएफओ और फील्ड डायरेक्ट को जारी किया नोटिस:भारत सरकार का वन मंत्रालय 2021 से मध्यप्रदेश वनविभाग से जानकारी मांग रहा है, लेकिन मध्यप्रदेश वनविभाग अभी तक जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाया. ऐसे में मध्यप्रदेश वनविभाग ने सभी टाइगर रिजर्व, अभ्यारण्य और डीएफओ को नोटिस जारी किया है. हाल ही में मप्र वन्य प्राणी मुख्यालय ने 15 सितंबर 2023 को नोटिस जारी कर शीघ्र जवाब मांगा है.

क्या कहना है वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट का:वाइल्डलाइफ और आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि "मप्र के वन विभाग के पास वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस की शर्तों के पालन के संबंध में कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है, ये जबाव हमें आरटीआई के संबंध में दिया गया है. वन विभाग का कहना है कि हमनें सारे टाइगर रिजर्व, सेंचुरी और डीएफओ से जानकारी मांगी है. इस मामले में दुखद पहलू ये है कि 10 सालों में मप्र सरकार के वनविभाग ने ध्यान ही नहीं दिया कि वन और वन्यजीवों की सुरक्षा और सुविधा के संबंध में निर्माण कार्यों में क्या शर्तें रखी गयी गयी है. इनके मापदंडों को सुरक्षा के लिहाज से कड़ाई से पालन होना चाहिए, इस रिकॉर्ड का वनविभाग के पास मौजूद ना होना बड़ी लापरवाही है. वन्य प्राणी मुख्यालय की गंभीर लापरवाही को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कार्यवाही की मांग करेंगे और जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे, क्योंकि इस गंभीर लापरवाही से विगत वर्षो में कई दुर्लभ वन्यजीव रेल लाइन और सड़क मार्ग पर हुई दुर्घटना में जान गवां चुके हैं."

Last Updated : Sep 22, 2023, 9:55 PM IST

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