मुंबई : सीबीआई (central bureau of investigation) की एक विशेष अदालत ने बुधवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) को उनके और अन्य के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में 11 अप्रैल तक केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में भेज दिया. अदालत ने सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता के दो पूर्व सहयोगियों- संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे- तथा बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था.
देशमुख (71) का सरकारी जे जे अस्पताल में इलाज चल रहा था और इसलिए जांच एजेंसी अन्य आरोपियों के साथ उन्हें हिरासत में नहीं ले सकी. राकांपा के वरिष्ठ नेता को मंगलवार शाम को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और बुधवार सुबह उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें विशेष न्यायाधीश वीसी बर्दे के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें 11 अप्रैल तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया. देशमुख, पलांडे और शिंदे के खिलाफ धन शोधन निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धन शोधन के एक मामले में पिछले साल गिरफ्तार किए जाने के बाद से वे न्यायिक हिरासत में हैं.
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एंटीलिया विस्फोटक मामले और मनसुख हिरन हत्या मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद से वाजे न्यायिक हिरासत में है. संबंधित अदालतों (पीएमएलए और एनआईए) ने भ्रष्टाचार के मामले में उनकी हिरासत की मांग वाली सीबीआई की याचिका को स्वीकार किया था. मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने पिछले साल मार्च में आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को शहर के रेस्तरां और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने का लक्ष्य दिया था. देशमुख ने हालांकि आरोपों से इनकार किया है. बंबई उच्च न्यायालय के पिछले साल अप्रैल में दिए गए आदेश के बाद शुरुआती जांच कर सीबीआई ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद राकांपा नेता ने प्रदेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
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अनिल देशमुख की याचिका पर सुनवाई से हाईकोर्ट के दो जज हटे : बंबई उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों ने बुधवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. याचिका में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें सीबीआई को भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें (देशमुख को) हिरासत में लेने की अनुमति दी गई थी. देशमुख की याचिका को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. लेकिन जब मामला सुनवाई के लिए आया तो न्यायमूर्ति डेरे ने कहा कि मेरे सामने नहीं और संकेत दिया कि वह इस पर सुनवाई नहीं कर रही हैं.
राकांपा नेता के वकील अनिकेत निकम ने तब न्यायमूर्ति पीडी नाइक से संपर्क कर याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की. न्यायमूर्ति नाइक ने भी खुद को यह कहते हुए सुनवाई से अलग कर लिया कि मेरे सामने सूचीबद्ध नहीं किया जाए. दोनों न्यायाधीशों ने सुनवाई से अलग होने का कोई कारण नहीं बताया. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अब मामले को किसी अन्य न्यायाधीश को सौंपेंगे. मुंबई की एक अदालत ने 31 मार्च को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की वह अर्जी स्वीकार कर ली थी जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को उनके और अन्य के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिए उसकी हिरासत में देने का अनुरोध किया गया है. देशमुख ने इस आदेश को चुनौती दी थी. विशेष सीबीआई अदालत ने देशमुख के सहयोगियों संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे तथा बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को भी सीबीआई हिरासत में लेने की इजाजत दी थी. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन मामले में गिरफ्तारी के बाद से देशमुख, पलांडे और शिंदे न्यायिक हिरासत में हैं.