चंडीगढ़ :कोटकपूरा और बहिबलकलां गोलीकांड मामले में जांच कर रही एसआईटी को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. इस मामले में को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमा गई है. वहीं इससे नाराज एसआईटी के प्रमुख सदस्य आईजी कुंवर विजय प्रताप ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर समय से पहले सेवानिवृत्ति की मांग की है.
सूत्रों का कहना है कि आईजी कुंवर प्रताप हाईकोर्ट द्वारा एसआईटी खारिज किए जाने से नाराज हैं. इसलिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उन्होंने यह मांग उठाई है. हालांकि मुख्यमंत्री ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया और उन्हें पहले की तरह अपनी नियमित सेवाएं देते रहने के आदेश दिए हैं. वहीं सोशल मीडिया पर आईजी कुंवर प्रताप ने लिखा कि उन्होंने अपना काम ईमानदारी से किया और वह आने वाले समय में अपना काम इसी तरह से करते रहेंगे. इनका यह इशारा राजनीति में आने का है या फिर पुलिस में ही रहने का यह तो समय बताएगा.
हालांकि उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि उन्हें काफी समय पहले पंजाब कैडर से सूबे में पोस्टिंग मिली. उसके बाद पूरी ईमानदारी से अपनी सेवाएं निभाई हैं. अमृतसर में हुए किडनी स्कैम में भी जांच कर आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में ठोस भूमिका निभाई. बहिबलकलां और कोटकपूरा गोली कांड में भी मुझे एसआईटी की जिम्मेदारी मिली. हम हर पहलू पर जांच कर रहे हैं और जांच के अंतिम पड़ाव के करीब पहुंच चुके हैं. इसके बावजूद हाईकोर्ट के इस तरह एसआईटी को खारिज किए जाने से मैं काफी आहत हूं. इसलिए मैं समय से पहले ही सेवानिवृत्ति लेना चाहता हूं.
अकाली नेताओं का आरोप
इस मामले को लेकर शिरामणि अकाली दल के अध्यक्ष और पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने कहा कि अकाली दल तो पहले ही मामले की सीबीआई जांच की मांग करता रहा है. विधानसभा सत्र के दौरान भी अकाली दल सरकार से इसकी मांग कर चुका है. सरकार ने जानबूझकर अकाली दल की मांग को दरकिनार करते हुए एसआईटी गठित की. दरअसल कांग्रेस सरकार अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं को साजिश के तहत इस मामले में फंसाना चाहती है क्योंकि यह घटना अकाली-भाजपा सरकार के दौरान हुई थी. अब, जबकि हाईकोर्ट ने एसआईटी खारिज कर दी हैं तो सरकार की मंशा पर पानी फिर गया है.
पुलिस की भूमिका संदिग्ध
बहिबलकलां और कोटकपूरा गोलीकांड में पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है. उन्होंने जानबूझकर वहां गोली चलाने के आदेश दिए. इनमें पूर्व डीजीपी सेमध सिंह सैणी, आईजी परमराज उमरालंग और एक डीएसपी गुरदीप सिंह की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं. कुछ समय पहले आईजी कुंवर प्रताप ने इस मामले में अंतिम सप्लीमेंटरी चालान फरीदकोट अदालत में पेश कर ने की बात कही थी. जबकि एसआईटी द्वारा दो मामलों में 9 चालान पहले ही पेश किए जा चुके हैं. इस संबंध में सीएम ने कहा था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जानबूझ कर मामले में देरी की गई.