अमरावती :आंध्र प्रदेश सरकार ने कोरोना मरीजों के उपयोग के लिए आनंदय्या की आयुर्वेदिक दवा को अपनी सहमति दे दी है. आनंदय्या की आई ड्रॉप को इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी. सरकार ने सीसीआरएएस (CCRAS) की रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया.
आनंदय्या की आयुर्वेदिक दवा परसीएम ने की बैठक
मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में सोमवार को यहां कोविड -19 पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक हुई. इस बैठक में अधिकारियों ने आनंदय्या के हर्बल सप्लीमेंट पर चर्चा की और सीआरएएस रिपोर्ट के आधार पर आई ड्रॉप्स को छोड़कर P, L, F नामक तीनों पारंपरिक सपलिमेंट्स को प्रशासन की अनुमति देने के लिए निष्कर्ष निकाला.
अन्य दवाओं को बंद नहीं करने की सलाह
अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने आनंदय्या को आई ड्रॉप देने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि पूरी रिपोर्ट अभी जमा नहीं की गई है, जिसमें 2-3 सप्ताह और लग सकते हैं. अधिकारियों ने कहा कि प्रस्ताव सीसीआरएएस रिपोर्ट के आधार पर बनाया गया था. उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि अन्य दवाओं का उपयोग बंद नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इस बात का कोई निष्कर्ष नहीं है कि आनंदय्या के हर्बल सप्लीमेंट कोविड को कम करेगा.
इस संबंध में, अधिकारियों ने कहा कि कोविड -19 संक्रमित व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से कृष्णापट्टनम दवा लेने के लिए नहीं आए, लेकिन उनके रिश्तेदारों को यह मिल सकता है. साथ ही इन सप्लीमेंट्स के वितरण के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाएगा.
दवा के प्रतिकूल प्रभाव का कोई सबूत नहीं
इस बीच, अधिकारियों ने यह भी बताया कि इन हर्बल दवा से प्रतिकूल प्रभाव का कोई सबूत नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि आनंदय्या चार सप्लीमेंट P, L, F, K, आई ड्रॉप के साथ दे रहे हैं. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आनंदय्या द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री हानिकारक नहीं है, जबकि आई ड्रॉप्स पर पूरी स्टडी रिपोर्ट आनी बाकी है.
अधिकारियों ने कहा कि सीसीआरएएस ने यह जानने के लिए ट्रायल किया कि क्या ये सप्लीमेंट सच में कोविड -19 के इलाज में कारगर हैं. हालांकि, ट्रायल के बाद उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इसका कोई सबूत नहीं है कि यह दवा कोविड के इलाज में सही है.
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साथ ही रिपोर्ट ने यह पुष्टि भी की कि हर्बल तैयारियों में प्रयुक्त सामग्री से कोई नुकसान नहीं है, इसलिए इन्हें आयुर्वेदिक के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती है. अधिकारियों ने कहा कि अगर आनंदय्या इसे आयुर्वेदिक दवा के रूप में मान्यता दिलाने के लिए आवेदन करते हैं, तो वे इसे ध्यान में रखेंगे.