अमरावती: गुंटूर के प्रधान जिला न्यायाधीश ने सोमवार को आंध्र प्रदेश सीआईडी की तीन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें मार्गदर्शी चिट फंड की 1,050 करोड़ रुपये की संपत्तियों की जब्ती को अंतिम रूप देने की मांग की गई थी. साथ ही कुर्की को लागू करने के लिए इस्तेमाल किए गए संबंधित सरकारी आदेशों को अमान्य करार दिया था.
अदालत ने यह निष्कर्ष निकालने के बाद एडीजीपी आंध्र प्रदेश सीआईडी द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया कि सीआईडी यह साबित नहीं कर सकी कि मार्गदर्शी अपने ग्राहकों को परिपक्वता पर भुगतान करने में विफल रही थी.
गुंटूर के प्रधान जिला न्यायाधीश वाईवीएसबीजी पार्थसारथी ने यह फैसला सुनाया कि सरकार के तीन आदेश - 29 मई को जारी जीओ 104, 15 जून को जीओ 116 और 27 जुलाई को जीओ 134 जारी किया गया, जिसमें लंबी सुनवाई के बाद सीआईडी को 1,050 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को निष्फल मानते हुए 'विज्ञापन अंतरिम' जब्ती करने की अनुमति दी गई.
वरिष्ठ अधिवक्ता पोसानी वेंकटेश्वरलू और अधिवक्ता पी राजाराव, जिन्होंने मार्गदर्शी की ओर से दलीलें पेश कीं, उन्होंने कहा कि कंपनी की संपत्ति जब्त करने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि किसी भी ग्राहक ने भुगतान न करने की शिकायत नहीं की है. वकील ने सरकार और सीआईडी पर ग्राहकों की सुरक्षा की आड़ में संपत्तियों को जब्त करने की पहल करने का आरोप लगाया, जबकि दोहराया कि मार्गदर्शी की व्यावसायिक गतिविधियां चिट फंड के नियमों के अधीन थीं.
वकील ने कहा कि यदि चिटों के प्रबंधन में कोई कमी हो तो उनके साथ चिट फंड अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निपटा जाना चाहिए था, इसके बजाय, सीआईडी एपी वित्तीय प्रतिष्ठान जमाकर्ताओं के संरक्षण अधिनियम (एपी जमाकर्ता अधिनियम-1999) को लागू कर रही है और संपत्ति जब्त कर रही है.