नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने वरिष्ठ अधिवक्ता के.वी. विश्वनाथन के नाम की सिफारिश शीर्ष अदालत में न्यायाधीश पद के लिये की है. कॉलेजियम की सिफारिश को अगर केंद्र की मंजूरी मिलती है तो वह अगस्त 2030 में भारत के 58वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बनेंगे. प्रधान न्यायाधीश के तौर पर उनका कार्यकाल नौ महीने से कुछ ज्यादा का होगा.
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजे) प्रशांत कुमार मिश्रा (pk mishra) और वरिष्ठ अधिवक्ता के.वी. विश्वनाथन को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश केंद्र से की. उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों की संख्या 34 है, हालांकि फिलहाल वहां 32 न्यायाधीश हैं.
उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीश- न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह - बीते दो दिनों में सेवानिवृत्त हुए हैं. कॉलेजियम की सिफारिश अगर मानी जाती है, तो विश्वनाथन उन वकीलों की विशिष्ट सूची में शामिल हो जाएंगे, जो 'बार' से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत होने के बाद सीजेआई बने.
न्यायमूर्ति एस.एम. सीकरी पहले सीजेआई थे, जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया गया था. न्यायमूर्ति यू.यू. ललित इस सूची में दूसरे स्थान पर थे.
शीर्ष अदालत के मौजूदा न्यायाधीश पी.एस. नरसिम्हा तीसरे सीजेआई होंगे जिन्हें बार से सीधे प्रोन्नत किया गया है. विश्वनाथन का जन्म 26 मई, 1966 को हुआ था. शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने पर वह 25 मई, 2031 तक सेवा करेंगे.
कॉलेजियम ने अपनी अनुशंसा में कहा, '11 अगस्त, 2030 को न्यायमूर्ति जमशेद बुर्जोर पारदीवाला की सेवानिवृत्ति पर, विश्वनाथन 25 मई, 2031 को अपनी सेवानिवृत्ति तक भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में पद संभालने के लिए कतार में होंगे.'