नई दिल्ली : देश में अपनी बेबाकी के लिए चर्चित सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी के साथ अपने विचार साझा किेए. ना केवल उन्होंने भारत चीन के बीच चल रहे तनातनी, बल्कि पं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मुलाकात को मीडिया ने जिस चश्मे से देखा, उस पर भी अपने विचार बेबाकी से रखे. हालांकि एक बात बडे़ ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि चीन भारत को चूहे की तरह कुतर रहा है और हम हैं कि उसको नजरअंदाज कर रहे हैं, वहीं उनका कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था भी काफी डावांडोल है, परंतु हमारी मीडिया सरकारी प्रेस नोट छापकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर लेती है. पूरे साक्षात्कार के लिए पढ़ें पूरे ईटीवी भारत के सवाल और स्वामी के जवाब...
ईटीवी भारत- पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और ऐन वक्त पर भाजपा के बहुत से विधायक दलबदल कर रहे हैं, ऐसे में क्या मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा की फिर से सत्ता में वापसी होगी ?
स्वामी- पहले ये बता दूं कि ये कोई नई बात नहीं है. पुराने चुनाव देख लीजिए, पहले भी ऐसा होता रहा है कि हमारी पार्टी से लोग छोड़ कर गए. लोकसभा चुनाव-2019 में शिवसेना अलग हो गई थी. तो मैं ये कहूंगा कि सवाल इस पर निर्भर नहीं करता है कि कोई आया, कोई गया. हमारे ऊपर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है. दूसरी बात ये कि ये मीडिया कहता है कि बीजेपी मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ती है. मोदीजी हमारे प्रधानमंत्री हैं, तो उनको तो केंद्र में होना ही है, लेकिन बूथ में, बैठकों के लिए लोगों को इकट्ठा करने में जो कार्यकर्ता लगते हैं, उसमें बीजेपी के लोग हैं और आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, भारतीय मजदूर संघ और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता भी उसमें जुड़ जाते हैं. इसका मुकाबला दूसरे दल बहुत ही कम कर पाते हैं. बंगाल में भी हमने ज़्यादा कह दिया कि हम बहुमत पा जाएंगे. लेकिन हम 3 सीट से 77 तक आ गए थे, इतनी बड़ी उपलब्धि छिप गई. इसलिए इस वक्त मुझे ऐसा कोई ख़तरा लगता नहीं है.
ईटीवी भारत- आपको लगता है योगी एक बार फिर यूपी में सत्ता में लौट पाएंगे ?
स्वामी-अभी तो ऐसे ही लगता है मुझे, पर मैं कह नहीं सकता. ऐसा भी हो सकता है कि कोई घटना इस बीच ऐसी हो जाए, जिससे लोग पलट जाएं. जैसे चीन के सामने कोई बड़ी कमज़ोरी हम दिखा दें और छिपा न सकें, हालांकि अभी तक तो हम छिपाते ही आए हैं.
ईटीवी भारत- आप को लगता है हम चीन के सामने कमज़ोर पड़ रहे हैं ?
स्वामी- कमज़ोर नहीं पड़ रहे हैं. हम जो कर रहे हैं, मैं उसे कायरता समझता हूं. हम डरे हुए हैं कि कहीं 1962 वाला मामला दोबारा न हो जाए. इसीलिए ढील दे रहे हैं, पीछे हट रहे हैं और खबरों को दबा रहे हैं. मीडिया भी सच बोलने से डरता है. वास्तविकता यही है कि अभी तो वो (चीन) थोड़ा-थोड़ा हमें कुतर रहे हैं, जैसे चूहे काटते हैं. लेकिन जब बर्फ ख़त्म हो जाएगी मार्च में, तो क्या होगा ? इस चुनाव में बेशक फर्क न पड़े, आगे और भी चुनाव आने हैं. गुजरात के चुनाव हैं सितंबर-अक्टूबर में. दूसरी बात ये कि हमारी अर्थ प्रणाली बड़ी नाज़ुक स्थिति में है. कोई इसको छापता नहीं है, सब झूठ बोलते हैं, वित्त मंत्रालय जो कहता है, हम उसे ही छाप कर लोगों को ‘सच’ बताने की कोशिश कर रहे हैं. गरीब और गरीब हो गया है. तो इसका भी असर है लेकिन इसके बावजूद लोगों को और कोई नहीं दिखता. बीजेपी के पास तो सुधरने के मौके भी हैं, परंतु अन्य के पास तो सुधरने की दूर-दूर तक कोई गुंजाइश ही नहीं दिखती.
ईटीवी भारत- शिवसेना कह रही है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ेगी. क्या जिस तरह माना जाता है कि ओवैसी मुसलमानों के वोट काटने आए हैं, क्या शिवसेना भी हिंदुओं के वोट काटने आ रही है ? आप क्या मानते हैं ?
स्वामी- देखिए ओवैसी हों या ठाकरे हों, किसी के वोट काटेंगे, क्या सिर्फ इसलिए उन्हें चुनाव में खड़ा नहीं होना चाहिए ? आज ओवैसी अकेले चुनाव लड़ते हैं, लेकिन दुनिया भर में उन्हें लोग जानते हैं. हमें पसंद न आए, तो अलग बात है. लेकिन वो पढ़ा-लिखा है, कानून की उसके पास डिग्री है, अंग्रेज़ी बहुत अच्छा बोलता है. वो हमें चिढ़ाता तो ज़रूर है, लेकिन जब विदेश जाता है, तो हिंदुस्तान की बात करता है. निडर है वो, लेकिन लोग उसे टारगेट करते हैं. ऐसे तो लोग मुझे भी टारगेट करते हैं. बीजेपी का जो आईटी सेल है, वो कुछ न कुछ गंदा मेरे बारे में लिखता रहता है. जिस देश में सीता की आलोचना हो गई, उस देश में हम जैसे लोगों की आलोचना कोई बड़ी बात नहीं है. मैं ये समझता हूं कि हमने बहुत बड़ी गलती की कि शिवसेना के साथ हमने महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनाई. ठाकरे को हमने अपने गठबंधन से धक्का देकर बाहर निकाल दिया. मैं जानता हूं कि बीजेपी ने ठाकरे से वादा किया था कि इस चुनाव के बाद तुम मुख्यमंत्री बनोगे. उसके बाद धोखा दे दिया. बीजेपी थोड़ा अहंकार में है.
ईटीवी भारत- बीजेपी किसकी वजह से अहंकार में है ?
स्वामी-पता नहीं, लेकिन हमारी पार्टी में जो अनुशासन है, उसको उन्होंने ग़लतफहमी में ये समझ लिया कि सब लोग सैल्यूट मारने के लिए तैयार हैं, सब गुलाम बनने के लिए तैयार हैं, कोई खड़ा नहीं होगा, किसी में हिम्मत नहीं होगी, छापे मार देंगे तो लोग दब जाएंगे. इस तरह का माहौल बना है इसीलिए मैं तो खुल कर बोलता हूं. मैं लोकतंत्र के लिए राजनीति में आया. इंदिरा गांधी तक से मैं लड़ गया था. मुझे किसी बात की चिंता नहीं है. चंद्रशेखर इंदिरा गांधी से लड़े, वो पार्टी में थे, फिर भी लड़े. इसीलिए उनका नाम हुआ और आज भी लोग उनको याद करते हैं.
ईटीवी भारत-आप मोदी के बहुत बड़े प्रशंसक थे. अब भी हैं ?
स्वामी- देखिए मेरी दोस्ती उनके साथ अभी भी है, कोई नफ़रत ऐसी नहीं है. कोई व्यक्तिगत बात नहीं है. उन्होंने मुझे मंत्री नहीं बनाया, तो मैंने उसका बुरा नहीं माना. क्योंकि मैंने मंत्री पद कभी मांगा ही नहीं था. मैं छह बार संसद में आया हूं. दो बार तो मैं सीनियर मोस्ट कैबिनेट मिनिस्टर रहा, नरसिम्हा राव की सरकार में और चंद्रशेखर की सरकार में. मैंने कभी उनसे नहीं कहा कि मुझे मंत्री बनाओ, कभी नहीं कहा कि सांसद बनाओ. इन्होंने मुझसे कहा कि नई दिल्ली से चुनाव लड़ो, मैं तैयार हो गया. केंद्रीय मंत्री नितिन ग़डकरी ने इस खुशी में दावत भी कर दी. फिर जिस दिन मैं नामांकन करने जाने वाला था, उस दिन मुझे राजनाथ जी ने फोन करके कहा कि जेटली ने और मोदी ने तय किया है कि आप नहीं लड़ेंगे. मोदी ने तो मुझसे कहा कि मैं जा कर रायबरेली से चुनाव लड़ जाऊं. मैंने कहा कि भई, मुझे चार महीने पहले बताना चाहिए था. तो मैं मोदी को बहुत सालों से जानता हूं. लेकिन देखिए जानने से क्या होता है ऐसे तो दुर्योधन को विदुर भी खूब जानते थे.
ईटीवी भारत-आपका राज्यसभा का कार्यकाल भी अब पूरा होने को है. तो आगे की क्या योजना है ?
स्वामी-वो तो भगवान की ज़िम्मेदारी है. भगवान जो करेगा, वही होगा. छह बार संसद में आ चुका हूं, जिसमें तीन बार मैं लोकसभा का सदस्य रहा. दो बार बॉम्बे से एक बार मदुरै से. मदुरै से कोई ब्राह्मण जीत नहीं सकता था. तभी जयललिताजी ने भी मुझसे कहा था, तुम क्या कर रहे हो. मैं जानती हूं वहां लोग ब्राह्मण को वोट नहीं देंगे. मैने कहा देखता हूं कैसे नहीं देंगे, और मैं जीत कर आया. वैसे हमारे यहां लोग राज्यसभा जाना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि वहां मेहनत नहीं करनी होती.
ईटीवी भारत-दरअसल आपकी ममता बनर्जी से जो मुलाकात दिल्ली में हुई थी, उससे कयास निकाले जाने लगे थे कि आप टीएमसी ज्वाइन करने जा रहे हैं.
स्वामी- मैं दरअसल बीजेपी में आया था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कारण. जब बीजेपी बनी, मैं उसमें नही गया, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ही सलाह थी कि तुम जनता पार्टी चलाओ. मैंने पार्टी चलाई. फिर हिंदुत्व का मामला हो गया. विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल कहने लगे कि सुब्रमण्यम स्वामी ने ही रामसेतु बचाया, स्वामी ही राम मंदिर बना सकता है. तब अशोक सिंघल और आरएसएस प्रमुख के सी सुदर्शन ने ज़ोर लगाया और बाद में मोहन भागवत जी ने बड़ा स्नेह दिखा कर मेरी ज्वाइनिंग की सारी व्यवस्था की. तब मैं भाजपा में आया. संघ के सिद्धांतों पर मैं जनता पार्टी में भी बोलता था. यहां तक कि कैलाश मानसरोवर यात्रा भी मैंने ही खुलवाया था, भाजपा ने नहीं खुलवाया.
ईटीवी भारत- हाल ही में हरिद्वार में ‘हेट स्पीच’ का एक मामला आया है. क्या आप मानते हैं भारतीय समाज खूंखार होता जा रहा है ?
स्वामी-सबको संविधान के भीतर रहना चाहिए. किसी को मार दो, इस तरह का कोई भाषण नहीं दे सकता. मैं जानता हूं कि हिंदुओं को दबाने के लिए सारी दुनिया में साज़िश चल रही है. अब ममता बनर्जी है, वो तो एक पक्की हिंदू है. मैं उसे जानता हूं 1977 से और पिछले 20-30 साल से तो मैं उनको बहुत निकट से जानता हूं. वो तो जो बोलती है, वो करती है और जो करती है वही बोलती है. वो किसी से डरती नहीं है. होम मिनिस्टर (अमित शाह) को अकेले उसने हरा दिया. कोई जाने के लिए तैयार नहीं था बंगाल, तो मैं तो उस बहादुर महिला को प्रणाम करने के लिए गया था. उसने मुझे चाय पिलाई, लेकिन मुझे नहीं पता था कि बाहर सौ पत्रकार लोग खड़े हुए हैं.
ईटीवी भारत-तो हरिद्वार में जो हुआ आप उसकी निंदा करते हैं ?