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अद्भुत और अलौकिक है यह मंदिर, नासा भी हैरान, स्वामी विवेकानंद ने की थी यहां तपस्या

यूं तो अल्मोड़ा नगरी अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए विख्यात है. लेकिन, सांस्कृतिक पहचान से इतर अल्मोड़ा, धार्मिक एवं पौराणिक आस्था के केंद्रों के लिए भी समूचे प्रदेश में अपनी एक विशिष्ट पहचान भी रखता है. यहां का कसार देवी मंदिर अपने अंदर अद्भुत और अलौकिक शक्तियों का भंडार समेटे है. नासा के वैज्ञानिक भी इसका रहस्य ढूंढने में लगे हैं.

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Published : Oct 13, 2021, 9:02 PM IST

अल्मोड़ा : सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा को अष्ट भैरव, नौ दुर्गा की नगरी भी कहा जाता है. यहां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों के नौ मंदिर शहर के चारों ओर स्थापित हैं. इन्हीं में से एक मां दुर्गा का ऐसा मंदिर जो न केवल श्रद्धालुओं को, बल्कि वैज्ञानिकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. यह क्षेत्र अद्भुत व अलौकिक शक्तियों से भरा पड़ा है. यहां की अद्भुत शक्ति से अभिभूत होकर स्वामी विवेकानंद ने भी 1890 में कसार देवी में तपस्या की थी.

जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर कसार देवी मंदिर स्थित है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ ही आध्यात्मिक शांति भी मिलती है. देवी मां के इस मंदिर में अद्भुत व रहस्यमयी शक्तियां हैं. अल्मोड़ा एसएसजे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हामिद के अनुसार मंदिर के आसपास का क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है. इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है. जिसे जानने और समझने के लिए लंबे समय से नासा के वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं.

अद्भुत और अलौकिक है यह मंदिर

वहीं, दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुंबकीय शक्तियां विद्यमान हैं, जो मनुष्य को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं. स्वामी विवेकानंद भी 1890 में ध्यान के लिए कुछ महीनों के लिए कसार देवी आए थे. यही नहीं बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने भी यहां गुफा में रहकर विशेष साधना की थी.

कसार देवी मंदिर की महिमा एवं अपार शक्ति से बड़े-बड़े खगोलीय एवं भू-गर्भ वैज्ञानिक भी हैरान हैं. अल्मोड़ा स्थित कसार देवी मंदिर और दक्षिण अमरीका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं. ये अद्वितीय चुंबकीय शक्ति के केंद्र भी हैं.

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बता दें कि कसार देवी क्रैंक रिज के लिये भी प्रसिद्ध है. 1960-1970 के दशक में हिप्पी आंदोलन का प्रभाव भी इस क्षेत्र में पड़ा था. यह स्थल देश ही नहीं विदेशी श्रद्धालुओं को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि जो शांति व शक्ति का अहसास उन्हें यहां आकर मिलता है, वह अपने आप में अद्भुत व अलौकिक है.

वहीं, मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि इसी स्थान से मां भगवती ने शुंभ-निशुंभ दानवों का वध करने के लिए कात्यायनी रूप धारण किया और दोनों राक्षसों का संहार किया था. तब से यह स्थान विशेष माना जाता है.

अद्भुत शक्तियों को देखकर नासा भी हैरान

मंदिर हवालबाग विकासखंड की सुरम्य घाटी में स्थित है. यहां साल भर देश-विदेश के श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस मंदिर की महत्ता इसी बात से बढ़ जाती है कि देवी मां के इस मंदिर में ऐसी अद्भुत शक्तियां हैं जिसने नासा की भी नींद उड़ा दी. बताया जाता है कि मंदिर के आसपास के क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट हैं, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड हैं. इन पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है. जिसे जानने और समझने के लिए लंबे समय से नासा के वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं. यह स्थान दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुंबकीय शक्तियां विद्यमान हैं जो मनुष्य को सकारात्मक उर्जा प्रदान करती हैं.

मंदिर की पौराणिक मान्यता

मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि इसी स्थान से मां भगवती ने शुंभ-निशुंभ दानवों का वध करने के लिए कात्यायनी रूप धरा था. मां दुर्गा ने देवी कात्यायनी का रूप धारण करके दोनों राक्षसों का संहार किया था. तब से यह स्थान विशेष माना जाता है.

स्वामी विवेकानंद ने लगाया था ध्यान

बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने अपने आध्यात्मिक दर्शन की शुरुआत के लिए देवभूमि के कसार देवी की सुरम्य वादियों को चुना था. स्वामी जी 1890 में कसार देवी में आध्यात्मिक एकग्रता एवं ध्यान योग के लिए कुछ महीनों के लिए इस स्थान में आये थे. उन्होंने यहां एक गुफा में ध्यान लगाया था. इसी तरह बौद्ध गुरु लामा अंग्रिका गोविंदा ने भी कसार गुफा में रहकर ही विशेष साधना कर ज्ञान की प्राप्ति की थी.

दर्शन के लिए देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु

बताया जाता है कि कसार देवी मंदिर में मानसिक शांति की तलाश में काफी महापुरुष आए थे. स्वामी विवेकानंद 1890 में यहां आए इसके अलावा यह जगह 60 और 70 के दशक में काफी प्रसिद्ध हुई, जब यहां फिलास्फर, राइटर, म्यूजिशियन यहां आए थे. फेमस बैंड ग्रुप बीटल्स के लोग यहां पहुंचे थे. टीमोथी लेरी जिन्हें फादर आफ हिप्पी आन्दोलन के रूप में भी जाना जाता है वह भी यहां आए थे.

वैन एलेन बेल्ट क्या है

वैन एलेन विकिरण बेल्ट ऊर्जावान चार्ज कणों का एक क्षेत्र है, जिनमें से अधिकांश सौर हवा से निकलते हैं, जो उस ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा ग्रह के चारों ओर कब्जा कर लेते हैं. पृथ्वी में दो ऐसे बेल्ट हैं और कभी-कभी दूसरों को अस्थायी रूप से बनाया जा सकता है. बेल्ट की खोज जेम्स वान एलेन ने की थी. इसलिए पृथ्वी के बेल्ट को वैन एलन बेल्ट के नाम से जाना जाता है. पृथ्वी के दो मुख्य बेल्ट सतह से ऊपर 500 से 58,000 किलोमीटर की ऊंचाई से विस्तारित होते हैं, जिसमें क्षेत्र विकिरण के स्तर अलग-अलग होते हैं. बेल्ट बनाने वाले अधिकांश कणों को ब्रह्मांड किरणों द्वारा सौर हवा और अन्य कणों से आना माना जाता है. सौर हवा को फंसाने से, चुंबकीय क्षेत्र उन ऊर्जावान कणों को हटा देता है और पृथ्वी के वायुमंडल को विनाश से बचाता है. वैन एलेन रेडिएशन बेल्ट में इलेक्ट्रॉन त्वरित होकर उच्च ऊर्जाओं के स्तर हासिल कर लेते हैं, जिसके कारण पता लगने से अंतरिक्ष यात्राओं में फायदा हो सकता है.

ऐसे पता चला था इस इलाके के बारे में

पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड उच्च ऊर्जा वाले कणों को पकड़ लेती है. जब अंतरिक्ष में पहली बार सैटेलाइट लॉन्च किए गए थे, उस समय जेम्स वैन एलेन की अगुआई में वैज्ञानिकों ने पाया कि अंतरिक्ष में उच्च ऊर्जा कणों के विकिरण वाले इलाके हैं. इस खोज की वैज्ञानिकों को बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी. बाद में इन इलाकों का नाम ही वैन एलेन रेडिएशन बेल्ट रख दिया गया. दूर से देखने पर ये डोनट के आकार के नजर आएंगे जिसके बीच में पृथ्वी नजर आएगी.

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