नई दिल्ली: तुर्की-सीरिया सोमवार को भूकंप के तेज झटकों से पूरी तरह हिल गया. तुर्की में पिछले 24 घंटों से भी कम समय में तीन बार भूकंप के तेज झटके आए हैं. इनमें से पहला भूकंप रिक्टर स्केल पर 7.8 तीव्रता का था. इसके कुछ ही घंटों बाद रिक्टर स्केल पर 7.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया और जब लोग इन दो झटकों से आए विनाश को संभालने और लोगों को बचाने में लगे हुए थे, तभी धरती एक बार फिर 6.0 तीव्रता के साथ डोलने लगी. अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार कुदरती तबाही में 2,300 से भी ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
वहीं हजारों लोग घायल हुए हैं और माना जा रहा है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या 7.8 तीव्रता का यह भूकंप 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा भूकंप है. क्या इससे पहले भी इस तरह का भूकंप आया है या इससे तीव्रता का भूकंप आया है. तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 21वीं शताब्दी में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप, जिससे सूनामी पैदा नहीं हुई थी, वह इंडोनेशिया में आया था. यह भूकंप 28 मार्च 2005 को आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.6 की थी और इसका केंद्र नियास-सिमुलुए में था.
जहां एक ओर इस भूकंप की तीव्रता बहुत तेज थी, लेकिन इससे जान की हानि कम हुई थी. इस कुदरती कहर में 1,300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवां दी थी. इसके बाद रिक्टर स्केल पर 7.9 तीव्रता का भूकंप चीन के सिचुआन में 12 मई 2008 में आया था. इस भूकंप से हिमालय में बसे इस इलाके को तबाह कर दिया था और कुदरती कहर ने 87 हजार से ज्यादा लोगों को काल के गाल में भेज दिया था. इसके बाद 25 अप्रैल 2015 में नेपाल की जमीन हिली और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.8 दर्ज की गई. इस प्राकृतिक त्रासदी ने 8,900 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, जो कि एक आधिकारिक आंकड़ा था.
भारत में भी 26 जनवरी 2001 को धरती ने अपना प्रकोप दिखाया था और गुजरात के भुज-कच्छ में 7.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. इस त्रासदी में 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इसके अलावा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी अक्टूबर 2005 में 7.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. यहां भी भूकंप ने अपनी चपेट में 87 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. सितंबर 2009 में इंडोनेशिया के सुमात्रा में 7.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसने एक हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी.