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नंदिनी के बाद आविन मिल्क ब्रांड पर 'राजनीति', तमिलनाडु में अमूल का विरोध

दक्षिण भारत के एक और राज्य तमिलनाडु में अमूल दूध पर विवाद हो गया है. राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी तक लिख डाली. उनकी चिंता राज्य के मिल्क ब्रांड आविन को लेकर है. उन्होंने कहा है कि अगर अमूल को यहां पर प्रोसेसिंग यूनिट खोलने की अनुमति दी गई, तो आविन ब्रांड प्रभावित होगा. इससे पहले कर्नाटक में स्थानीय ब्रांड नंदिनी को लेकर भी चिंताएं जाहिर की गईं थीं.

amul versus aavin
अमूल वर्सेस आविन

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Published : May 26, 2023, 3:03 PM IST

Updated : May 26, 2023, 4:55 PM IST

चेन्नई : अमूल दूध पर फिर से विवाद खड़ा किया जा रहा है. इस बार विरोध के स्वर तमिलनाडु से उभरे हैं. तमिलनाडु में आविन ब्रांड का दूध पॉपुलर है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस बाबत गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने मांग की है कि अमूल को आविन के मिल्क शेड एरिया से दूध नहीं खरीदनी चाहिए.

अमूल ने हाल ही में तमिलनाडु के कुछ जिलों में विस्तार की योजना के बारे में जानकारी दी थी. इसके अनुसार अमूल कृष्णागिरि जिले में एक प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने जा रहा है. अमूल ने यह भी बताया कि कृष्णागिरि जिले के चारों ओर जो भी एरिया आते हैं, वहां से दूध खरीदा जाएगा. इस वजह से कांचीपुरम, तिरुवल्लुर, वेल्लोर, रानीपेट, धर्मपुरी और तिरुपथुर से दूध इस सेंटर पर आएगा.

आपको बता दें कि अभी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान भी स्थानीय ब्रांड नंदिनी और अमूल को लेकर विवाद हुआ था. कर्नाटक में नंदिनी ब्रांड को सरकार सपोर्ट करती रही है. वहां पर किसानों को सरकार सब्सिडी भी देती है. इसलिए नंदिनी ब्रांड का दूध अमूल की तुलना में सस्ता है. चुनाव के समय में इस मुद्दे को उठाने के पीछे इसे राजनीतिक रंग प्रदान करना था. अब जबकि चुनाव संपन्न हो चुके हैं, यह मुद्दा कर्नाटक में अब गौण हो चुका है.

आइए समझते हैं आखिर तमिलनाडु इस मुद्दे को क्यों उछाला जा रहा है. आविन, तमिलनाडु की दुग्ध सहकारी समिति है. तमिलनाडु में कुल 2.3 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. इनमें से आविन 35 लाख लीटर दूध खरीदती है. राज्य सरकार के अनुसार आविन की कुल क्षमता ही 45 लाख लीटर दूध को प्रोसेस करने की है. दूसरी बात यह है कि आविन के मुकाबले स्थानीय डेयरी, जो अलग-अलग जिले में हैं, वे आविन के मुकाबले किसानों को ज्यादा पैसे देते हैं. इस वजह से किसान खुद आविन की जगह पर प्राइवेट डेयरी में दूध बेच देते हैं. एक अनुमान है कि यह राशि प्रति लीटर के हिसाब से छह रु से लेकर 12 रुपये तक है.

अब जबकि अमूल बाजार में उतरेगा, तो निश्चित तौर पर यह अधिक आकर्षक पैसे किसानों को ऑफर करेगा. और एक बार जब किसान अमूल को दूध बेचना शुरू कर देंगे, तो आविन की स्थिति और भी खराब हो सकती है. सीएम स्टालिन इसी का विरोध कर रहे हैं. अभी आविन का 16-17 फीसदी मार्केट पर कब्जा है.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो आविन खुद ही इसके लिए जिम्मेवार है. सरकार ने भी इसे बहुत अधिक सपोर्ट नहीं किया है. पिछले 10 सालों में आविन ने अधिक से अधिक प्रोसेसिंग यूनिट खोलने के बजाए भवन बनाने और यूनियन को मजबूत करने पर काम किया है. ये सभी अनुत्पादक कार्य हैं. लोग ज्यादा हो गए और जहां से पैसा आना है, वह सोर्स सीमित रह गया. इसके पास करीब 600 बल्क मिल्क कूलर हैं. कमोबेश बिहार में भी ऐसी ही स्थिति रही है. बिहार में सुधा ब्रांड ने प्रोसेसिंग यूनिट और किसानों को अधिक तवज्जो नहीं दिया. इसकी वजह से वहां पर अमूल दूध ने मार्केट पर कब्जा कर लिया. अमूल न सिर्फ किसानों को अधिक पैसे दे रहा है, बल्कि मार्केट की नई-नई तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रहा है. वह आक्रामक शैली में प्रचार भी करता है. कर्नाटक दूध में सरप्लस स्टेट है. इसलिए यह अपने पड़ोसी राज्यों केरल और आंध्र प्रदेश में करता है. यह बड़ी वजह है कि कर्नाटक में अमूल बहुत तेजी से पैर नहीं पसार रहा है. लेकिन तमिलनाडु की स्थिति अलग है. इस चिंता से स्टालिन पूरी तरह से वाकिफ हैं.

अमूल भारत का सबसे बड़ा दूध ब्रांड है. इसकी स्थापना 1946 में हुई थी. यह 2.6 करोड़ लीटर दूध प्रति दिन खरीदता है. इससे 18 हजार से अभी अधिक दुग्ध सहकारी समितियां जुड़ी हुईं हैं. अमूल के उत्पाद न सिर्फ देश के दूसरे राज्यों में बल्कि विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं. खाड़ी देशों के साथ-साथ अमेरिका और चीन तक अमूल के उत्पाद भेजे जाते हैं.

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Last Updated : May 26, 2023, 4:55 PM IST

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