भोपाल।केंद्रीय गृहमंत्री का भोपाल दौरा सबको चौंकाने वाला रहा. मंगलवार को भोपाल दौरे पर आए अमित शाह पहले 3 घंटे बैठक लेने वाले थे लेकिन बैठक लेने में लेटे हो गए जिसके बाद बैठक सवा 2 घंटे चली. अमित शाह ने सुपर 13 की टीम को सबसे पहले बुलाकर यह जाना कि मध्य प्रदेश में जीत की क्या स्थिति है और कितनी सीटों पर बीजेपी जीत रही है और कितनी विधानसभा सीटों पर उसकी स्थिति ठीक नहीं है. हालांकि यह बीजेपी का कोर ग्रुप नहीं था इसमें केंद्रीय मंत्रियों से लेकर राष्ट्रीय संगठन और प्रदेश संगठन और सत्ता से जुड़े लोग बैठक में शामिल थे. अमित शाह अपने साथ पूरा फीडबैक लिए हुए थे.
बीजेपी की प्लानिंग: टीम ने बताया कि बीजेपी के पक्ष में माहौल है और इसके लिए उसने बूथ स्तर तक की प्लानिंग बना रखी है और खासतौर से यात्राएं जिसमें आशीर्वाद यात्रा, लोगों के घर घर तक पहुंचने का प्लान यह सब शामिल है. जिसे लेकर अमित शाह ने कहा कि अब पार्टी को विजय संकल्प अभियान शुरू कर देना चाहिए. मतलब साफ है अभियान का मकसद है कि जनता के बीच यह मैसेज जाना चाहिए कि बीजेपी ही आपको अच्छी सरकार दे सकती है,
प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, अमित शाह की बैठक खत्म होते ही मीडिया से रूबरू हुए और कहा कि अमित शाह ने कहा है कि पार्टी विजय संकल्प अभियान की शुरुआत कर दे. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि अभियान की शुरुआत कितनी तारीख से होगी लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि अब आने वाले समय में बीजेपी की रथयात्रा है और अन्य यात्राएं सड़कों पर देखने को मिलेंगी.
आदिवासियों पर अत्याचार की चर्चा:सूत्रों के मुताबिक अमित शाह ने मध्यप्रदेश में आदिवासियों की वोट बैंक को लेकर भी चर्चा की. उन्होंने जाना कि आदिवासी बीजेपी को किस तरह से देखता है और उसका झुकाव कितना है लेकिन साथ ही जो खबरें रोज आदिवासियों के अत्याचार की आ रही हैं उसको लेकर जाना कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है सच्चाई क्या है, नेताओं ने इस पर कहा कांग्रेस घटनाओं को हाइप दे रही है, लेकिन जैसे ही कोई शिकायत आती है सरकार स्ट्रिक्ट एक्शन लेकर उन तक मैसेज भी पहुंच रहा है.
गुजरात फार्मूले के लिए तैयार रहें नेता:बताया जा रहा है कि अमित शाह ने दो टूक कह दिया कि मध्य प्रदेश में 2018 जैसा हाल नहीं होना चाहिए बल्कि हर हाल में हमें यहां सरकार बनानी है. इसके लिए अमित शाह ने गुजरात फार्मूला लागू करने की बात भी कही यानी यहां भी पार्टी बड़े स्तर पर सिटिंग एमएलए और मंत्रियों के टिकट काट सकती है और नए चेहरों को मैदान में ला सकती है और यदि गुजरात फार्मूला चला तो यहां मंत्री पुत्रों के साथ साथ जो परिवारवाद को आगे बढ़ाना चाहते हैं उन्हें झटका लग सकता है.