गुवाहाटी: तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने अपने दो दिवसीय असम दौरे के दौरान नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर चुप्पी साध रखी है, हालांकि उन्होंने सीएए को पश्चिम बंगाल में लागू करने की घोषणा की है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता सीएए का इस्तेमाल हथियार की तरह कर रही है. इसलिए हमें सावधान रहने की जरूरत है ताकि हम इनके जाल में न फंसा जाएं.
टीएमसी महासचिव ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री ने पश्चिम बंगाल और असम में सीएए पर मतभेद किया था. यह इस बात का प्रमाण है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार कैसी राजनीति कर रही है. यह मुद्दा उनके लिए 'जुमला' मात्र है. नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 में लोकसभा में पारित किया गया था और एक महीने के भीतर यह आ गया. बलपूर्वक सीएए बन गया. आमतौर पर एक नए एक्ट के नियम बनाने में 3-4 महीने की आवश्यकता होती है, लेकिन ढाई साल से अधिक का समय बीत गया है और केंद्र ने छह एक्सटेंशन मांगे हैं लेकिन अभी भी सीएए के नियम नहीं बना है.
उन्होंने दोहराया कि उनकी पार्टी सीएए का विरोध करना जारी रखेगी और इसे "कठोर विधेयक" करार दिया. हम इस कठोर विधेयक का विरोध करते हैं. पश्चिम बंगाल में, अमित शाह ने कहा कि सीएए को कोविड-19 महामारी के समाप्त होने के बाद लागू किया जाएगा. जबकि असम में वह इस मुद्दे पर चु्प्पी साधे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री का यह पाखंड अब ओपेन है. उन लोगों को कैसे अवैध कहा जा सकता है जिन्होंने आपको (भाजपा) सत्ता में बैठाने के लिए वोट दिया? असम में एनआरसी सूची ₹ 1600 करोड़ खर्च करके तैयार की गई थी और एनआरसी सूची में लगभग 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया था. यह एक गड़बड़ है लिस्ट है.