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MCD Bill 2022 : लोक सभा में बोले गृह मंत्री शाह, निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही दिल्ली सरकार

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Published : Mar 30, 2022, 3:42 PM IST

Updated : Mar 30, 2022, 5:29 PM IST

म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ दिल्ली बिल 2022 (MCD Bill 2022) पर गृह मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में कहा, पहले दिल्ली में तीन अलग-अलग नगर निगम नहीं थे. उन्होंने कहा कि किस उद्देश्य से दिल्ली नगर निगम को तीन भाग में बांटा गया, यह उद्देश्य गृह मंत्रालय के दस्तावेजों में स्पष्ट नहीं होता है. उन्होंने कहा, दिल्ली की तीन नगर निगमों के साथ दिल्ली सरकार सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है.

amit shah in lok sabha
लोक सभा में बोले गृह मंत्री शाह

नई दिल्ली : म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ दिल्ली बिल 2022 (MCD Bill 2022) पर गृह मंत्री ने अमित शाह ने लोक सभा में कहा, पहले दिल्ली में तीन अलग-अलग नगर निगम नहीं थे. उन्होंने कहा कि किस उद्देश्य से दिल्ली नगर निगम को तीन भाग में बांटा गया, यह उद्देश्य गृह मंत्रालय के दस्तावेजों में स्पष्ट नहीं होता है. उन्होंने कहा, दिल्ली की तीन नगर निगमों के साथ दिल्ली सरकार सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है. उन्होंने वित्तीय पहलुओं का जिक्र कर कहा कि बिना सोचे-समझे गए बांटे गए नगर निगमों में दो निगमों को अधिक लाभ और आवंटन किया जाएगा, जबकि एक नुकसान में रहेगा.

बिल पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, गृह मंत्री ने स्वीकार किया है कि जब कोई मंशा नहीं दिखती हो उद्देश्य राजनीतिक नजर आता है. उन्होंने कहा कि 1991 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल में दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांटा गया. संविधान में 39एए जोड़ा गया. संशोधन के तहत दिल्ली में विधानसभा बनी. नेशनल कैपिटल टेरिटरी (NCT) का कानून बना. उन्होंने कहा कि एमसीडी विलय का फैसला दिल्ली को केंद्र के नियंत्रण में ले जाने की ओर बढ़ाया गया कदम है.

इससे पहले लोक सभा में 'दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022' को चर्चा एवं पारित होने के लिए रखते हुए शाह ने कहा कि 10 वर्ष पहले दिल्ली नगर निगम को तीन निगमों- उत्तर, दक्षिण और पूर्वी नगर निगमों में बांटा गया तो इस फैसले के पीछे की मंशा अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है. शाह कहा कि तीनों निगमों की नीतियों और संसाधनों में विसंगतियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार इनके एकीकरण के लिए विधेयक लेकर आई है. उन्होंने यह भी कहा कि 10 वर्ष पहले दिल्ली नगर निगम को 'आनन-फानन' में तीन निगमों में विभाजित करने के पीछे तत्कालीन कांग्रेस सरकार की मंशा अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है.

गृह मंत्री शाह ने कहा, 'मैंने फाइलें खंगालीं लेकिन आनन-फानन में किये गये बंटवारे की तत्कालीन सरकार की मंशा के बारे में कुछ पता नहीं चला. कोई स्पष्ट कारण नजर नहीं आया . मेरे पास इसका कोई प्रमाण भी नहीं है कि क्या मंशा रही होगी.' उन्होंने कहा कि कारण स्पष्ट नहीं होने से लगता है कि इसका राजनीतिक मकसद रहा होगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, यहां राष्ट्रपति भवन हैं, संसद है, अनेक दूतावास हैं और इसलिए अनेक बैठकें भी होती हैं तथा राजधानी में अनेक राष्ट्राध्यक्ष भी आते हैं. शाह ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए जरूरी है कि नागरिक सेवाओं की जिम्मेदारी तीनों निगम ठीक से उठाएं.

उन्होंने कहा कि तीनों निगमों के 10 साल तक अलग-अलग होकर परिचालित होने के बाद यह पता चला है कि तीनों में नीतियों को लेकर एकरूपता नहीं है. शाह ने कहा कि एक ही शहर के तीन निगम अलग-अलग नीतियों से चलते हैं. कर्मियों की सेवा शर्तों में भी एकरूपता नहीं है और इन विसंगतियों के कारण कर्मियों में भी असंतोष नजर आया. शाह ने दावा किया कि विभाजन के समय संसाधनों और दायित्वों का विभाजन सोच-विचार कर नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि संसाधनों की दृष्टि से एक निगम हमेशा आगे रहेगा, वहीं बाकी दो की जवाबदेही ज्यादा होगी.

गृह मंत्री ने कहा कि इस तरह की अनेक परिस्थितियों से निगमों में चुनकर पहुंचने वाले लोगों को कामकाज में परेशानी होती है. शाह ने कहा, 'मैं जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि दिल्ली सरकार निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. इसके कारण तीनों निगम अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए पर्याप्त संसाधनों से लैस नहीं हो पा रहे.' उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा लाये गये संशोधन विधेयक में तीनों निगमों को एक करने का प्रावधान है क्योंकि संसाधन और सहकारितावादी दृष्टि से एक ही निगम पूरी दिल्ली की नागरिक सेवाओं का ध्यान रखेगा तो उचित होगा.

जानिए क्या हैं विधेयक के प्रावधान
इससे पहले सरकार ने शुक्रवार को लोक सभा में 'दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022' पेश किया था. तब विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इस विधेयक को पेश करना इस सदन के विधायी दायरे में नहीं आता है. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि वर्ष 2011 में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र की विधानसभा द्वारा दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2011 द्वारा उक्त अधिनियम को संशोधित किया गया था जिससे उक्त निगम का तीन पृथक निगमों में विभाजन हो गया.

तीन नगर निगमों की वित्तीय परेशानी
इसमें कहा गया कि तत्काल दिल्ली नगर निगम के तीन भागों में विभाजन करने का मुख्य उद्देश्य जनता को अधिक प्रभावी नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिये दिल्ली में विभिन्न केंद्रों में सुसंबद्ध नगर पालिकाओं का सृजन करना था, फिर भी दिल्ली नगर निगम का तीन भागों में विभाजन राज्य क्षेत्रीय प्रभागों और राजस्व सृजन की संभाव्यता के अर्थ में असमान था. एमसीडी (संशोधन) विधेयक 2022 में कहा गया है कि समय के साथ दिल्ली के तीन नगर निगमों की वित्तीय कठिनाइयों में वृद्धि हुई जिससे वे अपने कर्मचारियां को वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में अक्षम हो गए. वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में विलंब का परिणाम नगर निगम कर्मचारियों द्वारा निरंतर हड़ताल के रूप में सामने आया जिसने न केवल नागरिक सेवाओं को प्रभावित किया बल्कि इससे सफाई और स्वच्छता से संबंधित समस्याएं भी उत्पन्न हुईं.

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नागरिक सेवाएं सुनिश्चित करने के प्रयास
इसमें कहा गया है कि दिल्ली में तीन समवर्ती नगर निगमों के सृजन का मुख्य उद्देश्य जनता को प्रभावी नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराना था. मसौदे के अनुसार पिछले 10 वर्षों का अनुभव यह दर्शाता है कि संसाधनों की अपर्याप्तता और निधियों के आवंटन एवं जारी करने की अनिश्चितता के कारण तीनों निगम गंभीर वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं जिससे उनके लिये वांछित स्तर पर दिल्ली में नागरिक सेवाओं को बनाए रखना कठिन हो गया. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, सरकार देश की राजधानी में नागरिक सेवाएं प्रदान करने तथा वित्तीय कठिनाइयों एवं क्रियाशील अनिश्चितताओं को दूर करने के प्रयास के तहत दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 लाई है. इसके तहत तीन नगर निगमों को एकीकृत करने की बात कही गई है. इसमें संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिये एक सुदृढ़ तंत्र सुनिश्चित करना तथा दिल्ली के लोगों को अधिक कुशल नागरिक सेवा पूरी तरह पारदर्शिता के साथ प्रदान करने की बात कही गई है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 30, 2022, 5:29 PM IST

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