नई दिल्ली: करोड़ों भारतीय उपयोगकर्ताओं को वाट्सएप की ओर से एक नोटिफिकेशन मिला है, जिसमें उन्हें सेवा की शर्तों और गोपनीयता नीति में बदलावों को स्वीकार करने के लिए कहा गया है. आठ फरवरी तक ऐसा न करने पर उपयोगकर्ता के खाते को हटा दिया जाएगा. इस पर साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि मैसेजिंग एप वाट्सएप लाभ उठा रहा है, क्योंकि भारत में गोपनीयता और डेटा संरक्षण पर कोई कानून नहीं है. इसलिए निजी डेटा संरक्षण बिल लागू करना समय की आवश्यकता है.
ईटीवी भारत ने सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल से बात की. इस दौरान उन्होंने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 के बारे में बात की और कहा कि बिल पहले से ही अच्छा है, लेकिन जरूरत है इसे संसद में पारित करने की. इस बिल के पारित होने के बाद सख्ती से लागू करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि अगर इस कानून में कोई कमियां रह जाती हैं, तो इसे संसोधन द्वारा दूर किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि देश में साइबर से संबंधित कोई कानून नहीं है, वाट्सएप, फेसबुक जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उनके कानून नहीं होने का फायदा उठा रहे हैं और इस तरह व्यक्तियों की गोपनीयता भंग कर रहे हैं.
वाट्सएप के अन्य वैकल्पिक एप के बारे में बात करते हुए, जो इसे उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का दावा कर रहे हैं. इस पर साइबर विशेषज्ञ ने कहा कि लगभग सभी एप शायद समान तरीके से व्यवहार करेंगे, क्योंकि जब कोई कानून नहीं है, तो उन्हें रोकने के लिए कुछ भी नहीं है.
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एक एप यह दावा कर सकता है वह उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता को सुरक्षित रखेगा, ऐसा ही दावा कुछ साल पहले वाट्सएप दावा कर रहा था कि वे उपयोगकर्ताओं के डेटा को सुरक्षित रखेंगे. वे इसे किसी के साथ साझा नहीं करेंगे, लेकिन क्या गारंटी है कि यह एप भी भविष्य में उपयोगकर्ताओं के डेटा को साझा नहीं करेगा. इसलिए देश के नागरिकों के डेटा और गोपनीयता की रक्षा करने के लिए मजबूत कानून होना चाहिए.
बता दें कि वाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी आठ फरवरी से लागू होगी, जिसे स्वीकार न करने वाले यूजर्स आगे वाट्सएप का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. वाट्सएप यूजर्स से पूछ रहा है कि या तो फेसबुक के साथ डेटा साझा करने के लिए अपनी सहमति दें या फिर आठ फरवरी के बाद वह एप का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे.
सेवाओं का उपयोग जारी रखने के लिए, यूजर्स को नियमों और शर्तो को स्वीकार करना होगा. अगर यूजर्स सेवा की नई शर्तो को स्वीकार नहीं करते हैं, तो वे एप का उपयोग नहीं कर पाएंगे.