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हिमाचल प्रदेश: कालीबाड़ी मंदिर में हैं अद्भुत चित्र, खरीदने को जर्मन स्कॉलर ने की थी ब्लैंक चेक की पेशकश

शिमला के कालीबाड़ी मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर लगे दस महाविद्याओं के चित्र अध्यात्म और कला का बेजोड़ नमूना है. एक बार जर्मनी से आए विद्वानों ने सनत कुमार चटर्जी को ऑयल पेंट से बने इन महाविद्याओं के चित्र के बदले ब्लैंक चेक ऑफर किया जिसे सनत चटर्जी ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि महाविद्याओं के चित्र उनके लिए धन का नहीं अपितु आस्था का विषय है.

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Published : Aug 27, 2021, 3:48 AM IST

हिमाचल प्रदेश का मशहूर कालीबाड़ी मंदिर
हिमाचल प्रदेश का मशहूर कालीबाड़ी मंदिर

शिमलाः हिमाचल प्रदेश के मशहूर कालीबाड़ी मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर लगे दस महाविद्याओं के चित्र अध्यात्म और कला का बेजोड़ नमूना है. इन चित्रों को विश्व प्रसिद्ध कलाकार सनत कुमार चटर्जी ने बनाया है. मंदिर की परिक्रमा स्थल पर लगे यह चित्र न केवल हिंदू धर्म में मान्यता रखने वालों के लिए बल्कि विदेशों से आने वाले सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है.

एक बार जर्मनी से आए विद्वानों ने सनत कुमार चटर्जी को ऑयल पेंट से बने इन महाविद्याओं के चित्र के बदले ब्लैंक चेक ऑफर किया. जिसे सनत चटर्जी ने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि महाविद्याओं के चित्र उनके लिए धन का नहीं अपितु आस्था का विषय है.

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विश्व प्रसिद्ध चित्रकार सनत कुमार चटर्जी के पुत्र प्रोफेसर हिम चटर्जी बताते हैं कि साल 1960 में असित कुमार हल्दर के शिष्य और मानक पुत्र सनत कुमार चटर्जी अपने गुरु की आदेश पर पहाड़ों में चित्रकला का जादू बिखेरने शिमला पहुंचे.

शिमला पहुंच कर वे कालीबाड़ी मंदिर में रुके. बातचीत के दौरान मंदिर में रह रहे लोगों को यह मालूम हुआ कि सनत कुमार चटर्जी चित्रकार हैं. ऐसे में उन्होंने इसे मां काली की इच्छा मानकर सनत कुमार को मां काली की खराब हुई आंखों को बनाने का जिम्मा सौंपा.

इस दौरान मां काली के तेज से सनत कुमार चटर्जी के शरीर के सारे बाल झड़ गए. सनत कुमार चटर्जी के पुत्र प्रोफेसर हिम चटर्जी बताते हैं कि मां काली की आंखें ठीक करने के 10 साल बाद मां काली की कृपा से सनत कुमार के ऐसे बाल आए, जिसके साथ वे अपने जीवन के अंत तक जिए.

मां काली के दस महाविद्याओं के स्वरुप को चित्र स्वरूप में उतारना न केवल बेहतरीन चित्रकला का उदाहरण बल्कि यह सनत कुमार चटर्जी की तपस्या का द्रष्टा रूप है. मां काली का काला वर्ण ब्रम्हांड और लाल जीभ सूर्य का परिचायक है.

हर परिवार की तरह सनत कुमार चटर्जी के परिवार के लोग भी उनके पढ़ाई के प्रति कम दिलचस्पी को लेकर चिंतित थे. कला के प्रति उनकी लगन को पहले उनके परिवार का साथ नहीं मिला. पिता व अन्य परिजन उन्हें मिट्टी में खेलने वाला नालायक कहा करते थे, लेकिन किसे मालूम था मिट्टी में सोना तैयार हो रहा है.

यह नालायक कला के क्षेत्र में इस कदर लायक निकला कि पूरी दुनिया में उनका नाम हो गया. उनके नाम 100 से अधिक एकल कला प्रदर्शनी, दस महाविद्यालय पर सचित्र प्रकाशन, संगीत पर आधारित 22 श्रुतियों का श्रुति मंजरी नामक पुस्तक में सचित्र प्रकाशन जैसी उपलब्धियां जुड़ी हैं.

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