उडुपी (कर्नाटक) : इंसान अगर कुछ करने की ठान ले तो वह बड़े से बड़ा पहाड़ भी काट सकता है. इसके लिये जरूरी है, दृढ़ संकल्प और लक्ष्य है, जो हमें आगे बढ़ने में सहायता करते हैं. कर्नाटक के उडुपी में एक ऐसे ही दिव्यांग भाई-बहन हैं, जिन्होंने अपने सपनों को सकार करने के लिए अपने हुनर को नई पहचान दी है.
कहते हैं, खोजेंगे अगर तो ही रास्ते मिलेंगे, मंजिलो की फितरत है, खुद चलकर नहीं आते, हमें अपनी मंजिल के तरफ कदम उठाना ही पड़ता है. ऐसा ही एक निश्चय कर दोनों भाई-बहनों ने अपने जीवन को नई दिशा दी है.
बता दें कि, गणेश और सुमंगला जन्म से ही एक विशेष बीमारी से ग्रसित हैं. यहां तक की ये ठीक से खड़े होने में भी असमर्थ हैं. यह एक अजीब बीमारी है, जिसमें शरीर को थोड़ा सा भी हिलाने पर हड्डियां टूटने का खतरा बना रहता है, लेकिन इन सब के बावजूद गणेश और सुमंगला के हौसलों ने उनके सपनों को एक नई उड़ान दी है.