हैदराबाद : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को उम्मीद के मुताबिक नई पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया. उन्होंने पार्टी के नाम की घोषणा तो नहीं की, मगर यह सामने आया है कि नए दल में कांग्रेस जुड़ा होगा. कुल मिलाकर बंगाल और महाराष्ट्र की तरह पंजाब को भी कांग्रेस नाम वाला दल मिलने वाला है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दावा किया कि अगले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. मगर यह बताना नहीं भूले कि वह कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी से मुकाबले के लिए संयुक्त मोर्चा बनाएंगे. इस मोर्चे में सुखदेव सिंह ढींढसा वाला शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) और भारतीय जनता पार्टी भी होगी.
कैप्टन अमरिंदर का नया दल कितना ताकतवर होगा
कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी का चुनावी परफॉर्मेंस बेहतर नहीं रहा है. आजादी के बाद से शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ही सरकार बनाती रही है. अन्य दल या नए दल इस राज्य में सपोर्टिंग रोल या विपक्ष में ही रहे हैं. 1996 में बसपा ने शिरोमणी अकाली दल से गठबंधन किया था, मगर तब बीएसपी सपोर्टिंग पार्टी ही रही. देश की राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी भी अकाली दल के साथ करीब 25 साल तक जूनियर पार्टनर ही रही. 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 20 सीटें मिलीं. हालांकि उससे पहले 2014 में वह लोकसभा चुनाव में 4 लोकसभा सीट जीत चुकी थी. 2019 में आप को सिर्फ एक लोकसभा सीट मिली थी.
अमरिंदर सिंह 1992 में अकाली दल से अलग होने के बाद शिरोमणि अकाली दल पंथिक बनाई बनाई थी. तब हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें खुद 856 वोट मिले थे. इस पर आज भी सिद्धू ने चुटकी ले ली.
यह बात अलग है कि तब कैप्टन का कद प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री का था. 1997 के बाद उन्होंने सांसद और 9.5 साल तक सीएम रहने का अनुभव हासिल कर लिया है. इसके अलावा अब 30 साल में पंजाब की राजनीति भी बदल गई है. आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद शिरोमणि अकाली दल का कद कम हुआ है. बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद हिंदू वोटों का हिसाब-किताब भी बदल गया है. कांग्रेस भी अंतर्कलह से जूझ रही है.