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सुरजेवाला बोले- कैप्टन को सोनिया ने नहीं, विधायकों ने हटाया, अमरिंदर का पलटवार

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को राज्य में संकट से निपटने के अपने तरीके को छिपाने के लिए पार्टी के विभिन्न नेताओं द्वारा बेबुनियाद झूठ बोलने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. वहीं कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि अमरिंदर सिंह को पंजाब के सीएम पद से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नहीं हटाया बल्कि कांग्रेस के 78 विधायक उन्हें हटाने के लिए पत्र लिखा था.

अमरिंदर सिंह
अमरिंदर सिंह

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Published : Oct 2, 2021, 9:01 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को राज्य में संकट से निपटने के अपने तरीके को छिपाने के लिए पार्टी के विभिन्न नेताओं द्वारा बेबुनियाद झूठ बोलने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरीश रावत और रणदीप सुरजेवाला द्वारा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से उनके खिलाफ भेजे गए आत्मविश्वास की कमी व्यक्त करने वाले कथित पत्र पर साझा किए गए परस्पर विरोधी नंबरों की ओर इशारा करते हुए इसे त्रुटियों की कॉमेडी करार दिया.

वहीं कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को दावा किया कि अमरिंदर सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नहीं हटाया बल्कि कांग्रेस के 78 विधायक उन्हें हटाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि जब कोई मुख्यमंत्री अपने सभी विधायकों का विश्वास खो देता है तो उसे पद पर नहीं बने रहना चाहिए. सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा, '(पंजाब में) 79 में से 78 विधायकों ने मुख्यमंत्री को हटाने के लिए पत्र लिखा था. अगर हम मुख्यमंत्री नहीं बदलते तो आप हम पर तानाशाही का आरोप लगाते. मुख्यमंत्री एक तरफ और 78 विधायक एक तरफ और आप उन्हें सुनना नहीं चाहते.'

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उन्होंने कहा, 'सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष हैं और पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने का फैसला उन्होंने नहीं लिया. जैसा कि मैंने आपको बताया, 78 विधायकों ने पत्र लिखा था और उसके बाद हमने मुख्यमंत्री को बदल दिया.' गौरतलब है कि इससे पहले अमरिदंर सिंह ने कांग्रेस नेतृत्व के उस आरोप का खंडन किया था कि वह विधायकों का विश्वास खो चुके हैं.

दिलचस्प बात यह है कि एक दिन पहले हरीश रावत ने एक प्रेस बयान में कहा था कि 43 विधायकों ने इस मुद्दे पर आलाकमान को पत्र लिखा था. अमरिंदर ने चुटकी लेते हुए कहा, 'ऐसा लगता है कि पूरी पार्टी नवजोत सिंह सिद्धू की कॉमिक थियेट्रिक्स की भावना से प्रभावित हो गई है. आगे वे दावा करेंगे कि 117 विधायकों ने उन्हें मेरे खिलाफ लिखा था!' उन्होंने कहा, 'पार्टी में यह स्थिति है. वे अपने झूठ का ठीक से समन्वय भी नहीं कर सकते. इसके अधिकांश वरिष्ठ नेताओं का पार्टी के कामकाज से पूरी तरह से मोहभंग हो चुका है.'

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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की सच्चाई यह है कि जिन 43 विधायकों ने उस पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, उन्हें दबाव में ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था. कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि पंजाब संकट से निपटने के अपने कुप्रबंधन को लेकर एक कोने में धकेल दिए जाने के बाद, कांग्रेस अब पूरी तरह से दहशत की स्थिति में है, जो उसके नेताओं के बयानों से स्पष्ट है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दहशत से त्रस्त पार्टी आंतरिक अराजकता से जूझ रही है और अपनी विफलताओं के दोष को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.

उन्होंने कहा, 'वे जिस तरह से अपने गलत कामों को सही ठहराने के लिए खुलेआम झूठ का सहारा ले रहे हैं, यह देखकर दुख होता है.' पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 के बाद से कांग्रेस ने सरकार के नेतृत्व में पंजाब में हर चुनाव में जीत हासिल की, जो पार्टी नेतृत्व द्वारा किए जा रहे दावों के बिल्कुल विपरीत था. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अभूतपूर्व 77 सीटें जीती थीं. 2019 के उपचुनाव में कांग्रेस ने चार में से तीन सीटें जीती थीं, यहां तक कि सुखबीर बादल के गढ़ जलालाबाद से भी जीत हासिल की थी.

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कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी ने देश में भाजपा की भारी लहर के बावजूद 13 में से आठ सीटों पर जीत हासिल की और हाल ही में इस साल फरवरी में, सात नगर निगम चुनावों में, कांग्रेस ने 350 में से 281 सीटों (80.28 प्रतिशत) पर जीत हासिल की थी. उन्होंने कहा, '109 नगर परिषदों के नगर परिषद चुनावों में पार्टी ने 97 जीते. इससे स्पष्ट है कि पंजाब के लोगों ने मुझ पर से भरोसा नहीं खोया था, जैसा कि सुरजेवाला ने दावा किया है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरा मामला नवजोत सिंह सिद्धू के इशारे पर कुछ नेताओं और विधायकों द्वारा सुनियोजित किया गया था.'

कैप्टन अमरिंदर ने चेतावनी दी कि इन झूठों के लिए राज्य में पार्टी को भारी चुनावी कीमत चुकानी पड़ेगी. यह हरीश रावत द्वारा उठाए गए बरगाड़ी जैसे संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दे और उसके बाद पुलिस फायरिंग के मामलों पर भी बोले गए झूठ से स्पष्ट है. उन्होंने कहा, 'अगर मेरा हाथ बादल के साथ होता, जैसा कि वे आरोप लगा रहे हैं, तो मैं पिछले 13 साल अदालतों में उनसे लड़ने में नहीं बिताता. पार्टी का एक भी नेता इस कानूनी लड़ाई में मेरे साथ खड़ा नहीं था.'

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इसके अलावा, कोटकपुरा और बहबलकलां फायरिंग मामलों में, कांग्रेस के राज्य की बागडोर संभालने के दो साल के भीतर आईजीपी प्रेमराज उमरानागल और एसएसपी चंद्रजीत शर्मा सहित वरिष्ठतम पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी और पूर्व विधायक मंतर सिंह बराड़ समेत करीब 12 लोगों को नामजद कर चार्जशीट पेश किया गया है. इन दोनों मामलों में, सात आरोपपत्र दाखिल किए गए थे, लेकिन इनमें से कुछ को उच्च न्यायालय ने अटका दिया था.

अमरिंदर ने कहा कि इन मामलों में कोई कार्रवाई नहीं होने का पूरा हथकंडा सिद्धू और उनके सहयोगियों द्वारा बनाया गया था, जिनका एकमात्र मकसद किसी भी तरह से सत्ता हथियाना था.

(एजेंसी इनपुट)

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