दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा- सप्तपदी हिंदू विवाह का अनिवार्य अंग, रीति-रिवाजों का पालन जरूरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच चल रहे मुकदमे में टिप्पणी (Allahabad High Court Marriage Comment) करते हुए कहा कि हिंदू विवाह में सप्तसदी (सात वचनों के सात फेरे) जरूरी हैं. जिन शादियों में रीति-रिवाजों का पालन नहीं किया जाता है वे वैध नहीं हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 3, 2023, 8:46 PM IST

प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह में वैधता स्थापित करने के लिए सप्तपदी (सात वचनों के सात फेरे) अनिवार्य तत्व हैं. सभी रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुए विवाह समारोह को ही कानून की नजर में वैध विवाह माना जा सकता है. यदि ऐसा नहीं है तो कानून की नजर में ऐसा विवाह वैध विवाह नहीं माना जाएगा.

कोर्ट ने जारी किया था समन :वाराणसी की स्मृति सिंह उर्फ मौसमी सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने याची के खिलाफ दर्ज परिवाद और उस पर अवर न्यायालय द्वारा जारी समन आदेश को रद्द कर दिया. याची के विरूद्ध उसके पति और ससुराल के लोगों ने बिना तलाक दिए दूसरा विवाह करने का आरोप लगाते हुए वाराणसी जिला अदालत में परिवाद दायर किया था. कोर्ट ने याची को समन जारी कर तलब किया था. इस परिवाद और समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

कोर्ट ने कहा रीति-रिवाजों का पालन जरूरी.

महिला ने दर्ज कराया मुकदमा :याची का कहना था कि उसका विवाह 5 जून 2017 को सत्यम सिंह के साथ हुआ था. दोनों की शादी चल नहीं पाई. विवादों के कारण याची ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व मारपीट आदि का मुकदमा दर्ज कराया था. यह भी आरोप लगाया कि ससुराल वालों ने उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया. इस मामले में पुलिस ने पति व ससुराल वालों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की है.

पति ने लगाया था बिना तलाक दूसरी शादी का आरोप :पति और ससुराल वालों की ओर से भी पुलिस अधिकारियों को एक शिकायती पत्र देकर कहा गया कि याची ने पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर ली है. इस शिकायत की सीओ सदर मिर्जापुर ने जांच की और उसे झूठा करार देते हुए रिपोर्ट लगा दी. इसके बाद याची के पति ने जिला न्यायालय वाराणसी में परिवाद दाखिल किया. अदालत ने यह परिवाद स्वीकार करते हुए याची को समन जारी किया था. इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि याची द्वारा दूसरा विवाह करने का आरोप सरासर गलत है. यह आरोप याची की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे का बदला लेने की नीयत से लगाया गया है.

हिंदू विवाह में सात फेरों के सात वचनों का है काफी महत्व.

महिला ने कहा- शादी के साक्ष्य नहीं :महिला ने कहा कि शिकायत परिवाद में विवाह समारोह संपन्न होने का कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है, न हीं सप्तपदी का कोई साक्ष्य है जो कि विवाह की अनिवार्य रस्म है. एकमात्र फोटोग्राफ साक्ष्य के तौर पर लगाया गया है. इसमें लड़की का चेहरा स्पष्ट नहीं है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की जिरह को सुनने के बाद कहा कि याची के खिलाफ दर्ज शिकायत में विवाह समारोह संपन्न होने का कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है, जबकि वैध विवाह के लिए विवाह समारोह का सभी रीति-रिवाज के साथ संपन्न होना जरूरी है. यदि ऐसा नहीं है तो कानून की नजर में यह वैध विवाह नहीं होगा.

निर्दोष को बचाना अदालत का दायित्व :कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह की वैधता को स्थापित करने के लिए सप्तपदी एक अनिवार्य तत्व है, मगर वर्तमान मामले में इसका कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सिर्फ याची को परेशान करने के उद्देश्य से एक दूषित न्यायिक प्रक्रिया शुरू की गई है जो कि अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. अदालत का यह दायित्व है कि वह निर्दोष लोगों को ऐसी प्रक्रिया से बचाए. कोर्ट ने 21 अप्रैल 2022 को याची के विरुद्ध जारी समन आदेश तथा परिवाद की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है.

यह भी पढ़ें :पत्नी का 'मंगलसूत्र' हटाना मानसिक क्रूरता : HC

छोटे फायदे के लिए माता-पिता को नजर अंदाज करना दुखद : हाईकोर्ट

ABOUT THE AUTHOR

...view details