प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ. गौतम चौधरी ने हिंदी में फैसले देने का विश्व रिकॉर्ड कायम कर दिया है. उन्होंने अभी तक 14 हजार 232 फैसले हिंदी में दिए हैं. इसके पीछे उनके पिता की सीख है. मातृभाषा हिंदी के प्रति जस्टिस चौधरी का प्रेम एक मिसाल बन गया है. वादकारियों के साथ ही अधिवक्ता भी हिंदी को बढ़ावा देने की उनकी मुहिम की सराहना करते हैं.
अंग्रेजी माध्यम से की पढ़ाई, लेकिन हिंदी को सर्वश्रेष्ठ माना :इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश डॉ. गौतम चौधरी ने भले ही अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की हो, लेकिन हिंदी को ही हमेशा सर्वश्रेष्ठ माना. कहते हैं कि वह हर भाषा का सम्मान करते हैं, लेकिन हिंदी उनकी मातृभाषा है. उन्हें सबसे ज्यादा प्रेम हिंदी से ही है. यही वजह है कि वे कम से कम 60 फीसदी केस के फैसले हिंदी में ही देते हैं.
12 दिसम्बर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में बने न्यायमूर्ति :जस्टिस डॉ. गौतम चौधरी ने 12 दिसम्बर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में पदभार संभाला. इसके बाद से निरंतर हिंदी में फैसले देते रहे हैं. 8 अक्टूबर 2023 तक 4 साल से भी कम समय में 14 हजार 232 फैसले हिंदी में दिए हैं, जो कि एक विश्व कीर्तिमान है. वह रोजाना सुने जाने वाले मुकदमों में 60 प्रतिशत से अधिक का फैसला हिंदी में जारी करते हैं. हिंदी में जजमेंट देने के साथ ही अंतरिम आदेश भी हिंदी में ही पारित करते हैं. जमानत याचिकाओं, पुनरीक्षण अर्जियों और अन्य मामलों में भी हिंदी में महत्वपूर्ण फैसले उन्होंने दिए हैं. उनके अलावा हाईकोर्ट के अन्य जस्टिस भी अब हिंदी में निर्णय देने लगे हैं. बताया जाता है कि हाईकोर्ट में हिंदी एपीएस ज्यादा संख्या में नहीं हैं, जिस वजह से भी हिंदी में फैसले कम दिए जाते हैं.
पिता ने कहा था- अपनी मातृभाषा को मत भूलना :जस्टिस डॉ. गौतम चौधरी के जीवन में हिंदी प्रेम के पीछे उनके पिता और पत्नी का अहम योगदान रहा है. जस्टिस चौधरी बताते हैं कि जब वे कान्वेंट स्कूल में पढ़ते थे, उस वक्त की छमाही परीक्षा में सिर्फ हिंदी विषय में उनको कम नंबर मिले थे. उनके सांसद पिता चौधरी चुन्नी लाल ने उनका रिजल्ट देखा तो कहा- बेटा अंग्रेजी पढ़ो, लेकिन अपनी मातृभाषा हिंदी को मत भूलना, न ही कम समझना. जिसके बाद से उन्होंने हमेशा हिंदी को सर्वोपरि माना.