बेंगलुरु: कर्नाटक के शिवमोगा में हुई एक के बाद हुई कई सांप्रदायिक घटनाओं ने इस विधानसभा क्षेत्र को राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया. वहां के मुकाबले और घटनाक्रम को अब उत्सुकता से देखा जा रहा है. राज्य में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने पूर्व मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा को शिवमोगा सीट से टिकट देने से इनकार कर दिया और वहां से पार्टी के एक साधारण कार्यकर्ता को मैदान में उतारा जो एक बड़ी खबर बन गई.
दूसरी ओर, कांग्रेस ने वरिष्ठों को दरकिनार कर एक स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से ताल्लुक रखने वाले एक युवा नेता को टिकट दिया है. जहां बीजेपी हिंदुत्व एजेंडे के साथ चुनाव में जा रही है, वहीं कांग्रेस शांतिपूर्ण शिवमोगा के लिए वोट मांग रही है. पिछले साल शिवमोगा में बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की नृशंस हत्या ने तनावपूर्ण माहौल पैदा कर दिया था और शहर में आठ दिनों से अधिक समय तक कर्फ्यू लगा रहा.
सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद भी चाकूबाजी की घटनाएं हुईं. पिछले साल भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के जश्न के दौरान वीर सावरकर के फ्लेक्स लगाने को लेकर हुए विवाद के बाद हिंदू कार्यकर्ताओं को चाकू मार दिया गया था. शिवमोगा निर्वाचन क्षेत्र में शिवमोग्गा नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र शामिल हैं. विधानसभा क्षेत्र में 2,56,373 मतदाता हैं, जिनमें 62,000 मुस्लिम मतदाता, एससी/एसटी (50,000), लिंगायत (40,000), ब्राह्मण (30,000), कुरुबा (20,000) और वोक्कालिगा के 15,000 वोट हैं.
वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व भाजपा नेता और पूर्व मंत्री ईश्वरप्पा कर रहे हैं. पार्टी ने वर्तमान में नगर निगम सदस्य एस.एन. चन्नबासप्पा को अपना उम्मीदवार बनाया है. ईश्वरप्पा ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है. चन्नबासप्पा का सामना भाजपा के पूर्व नेता अयानूर मंजूनाथ से होगा, जो टिकट से वंचित होने के बाद जद (एस) में शामिल हो गए. कांग्रेस ने युवा नेता एच.सी. योगेश जबकि आप ने टी. नेत्रावती को मैदान में उतारा है. हालांकि यह मंजूनाथ और चन्नबासप्पा के बीच सीधी लड़ाई लग रही है, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार कांग्रेस उम्मीदवार चौंकाने वाले नतीजे दे सकते हैं.