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Published : Aug 3, 2022, 6:20 PM IST

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हर-हर शंभू: गायिका फरमानी नाज के समर्थन में संतों की सबसे बड़ी संस्था, कर्म को बताया धर्म से बड़ा

इन दिनों 'हर-हर शंभू' गाना (Har Har Shambhu Song) सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसके बाद सिंगर फरमानी नाज को मुस्लिम धर्मगुरुओं का विरोध झेलना पड़ रहा है. हालांकि, देशभर ने उन्हें समर्थन भी दिया जा रहा है. वहीं, अब साधु-संत भी फरमानी नाज (Har Har Shambhu Singer Farmani) के समर्थन में आ गए हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा कि कर्म का कोई धर्म नहीं होता और धर्म से भी बड़ा इंसान का कर्म होता है.

Har Har Shambhu Controversy.
फरमानी नाज.

हरिद्वार (उत्तराखंड): 'हर-हर शंभू' गाने (Har Har Shambhu Song) वाली फरमानी नाज का कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम धर्मगुरुओं ने विरोध किया तो अब कुछ हिंदू धर्मगुरु उसके समर्थन में उतर आए हैं. फरमानी नाज का कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने विरोध किया तो वहीं हिंदू धर्म के साधु-संत फरमानी नाज (Har Har Shambhu Singer Farmani) के समर्थन में आ गए हैं. साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) ने फरमानी नाज के धार्मिक गाने का प्रोत्साहन किया है.

गौर हो कि इन दिनों 'हर-हर शंभू' गाना सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. देवबंद के उलेमा ने फरमानी नाज के गाए 'हर हर शंभू' भजन को लेकर कहा कि यह शरीयत के खिलाफ है. वहीं फरमानी नाज का कुछ कट्टर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने विरोध किया तो वहीं हिंदू धर्म के साधु–संत फरमानी नाज के समर्थन में आ गए हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा कि कर्म का कोई धर्म नहीं होता और धर्म से भी बड़ा इंसान का कर्म होता है.
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जिसके चलते सबको इस गाने का समर्थन करना चाहिए. अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा कि मुस्लिम धर्मगुरु द्वारा इस धार्मिक गाने के विरोध को निंदनीय बताया है. रविंद्र पुरी ने कहा कि इससे पहले भी मोहम्मद रफी साहब ने कई भजन गाए हुए हैं, लेकिन तब इस तरह की कोई बातें नहीं आई. लेकिन अब जब इस बच्ची ने भगवान भोलेनाथ का भजन गाकर धर्म का प्रचार प्रसार किया है तो मूल्यों को दिक्कत होने लग गई है. इसलिए उन्होंने फतवा जारी किया है, जिसकी अखाड़ा परिषद और हम सब साधु-संत निंदा करते हैं.

फरमानी नाज को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का साथ मिला.

बता दें कि कांवड़ यात्रा के दौरान धार्मिक भजन गीत गाने पर यूट्यूब गायिका फरमानी नाज़ अब उलेमाओं के निशाने पर आ गई हैं. उलेमाओं ने फरमानी नाज को गैर इस्लामिक कार्यों से परहेज करने की चेतावनी दी है. हालांकि फरमानी नाज का कहना है कि उन्होंने इस हिंदू धर्म से जुड़े भजनों को बतौर कलाकार गाया है.

कौन हैं फरमानी नाज:मुजफ्फरनगर के मोहम्मदपुर गांव की रहने वाली सिंगर फरमानी नाज का गीत 'हर हर शंभू' काफी पॉपुलर हो चुका है. पूरे देश में इस गाने ने तहलका मचा रखा है. फरमानी ने इस गाने को प्रवेंद्र सिंह और राहुल मुलहेड़ा के साथ मिलकर गाया है. करीब एक सप्ताह पहले यूट्यूब पर रिलीज हुए इस गाने को रेकॉर्ड व्यूज मिले हैं. बता दें कि 2020 में जब फरमानी नाज इंडियन आइडल में आई थीं तब उनके यूट्यूब चैनल और इंटरनेट पेज पर लाखों फॉलोअर्स बन गए थे. उस समय फरमानी बेटे की तबीयत खराब होने के कारण इंडियन आइडल से लौट गई थीं.

फरमानी की शादी 2017 में मेरठ के छोटा हसनपुर गांव निवासी इमरान से हुई थी. एक साल बाद बेटा भी हुआ लेकिन पति ने छोड़कर दूसरी शादी कर ली. तब से फरमानी गाने गाकर ही परिवार चला रही हैं. यूट्यूब पर उनका कव्वाली का भी चैनल है और वह भजन भी गाती हैं. फरमानी कहती हैं कि उनका बेटा बीमार था और ससुराल वाले उनसे मायके से पैसा लाने को कहते थे, इसलिए वह मायके में ही रहने लगीं.

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सावन के महीने में फरमानी नाज का गाना 'हर हर शंभू शंकर महादेवा' काफी लोकप्रिय हो चुका है. अब उलेमाओं ने उनके धार्मिक गीत गाने पर आपत्ति जताई है. उलेमाओं का कहना है कि मुसलमानों को कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो किसी दूसरे धर्म की शिनाख्त हो या फिर अन्य मजहब के धार्मिक क्रियाकलापों को बढ़ावा देता हो. यदि कोई ऐसा करता है तो यह इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ है. मुसलमान को इस्लाम का मुकम्मल पाबंद होना चाहिए. इसके अलावा फरमानी ट्रोलर्स का टारगेट भी बन गई हैं.

इस विवाद पर फरमानी नाज ने बताया कि वह सिर्फ एक कलाकार हैं. जब वह किसी भी गाने या भजन को गाती हैं तो वह यह नहीं सोचती कि वह हिंदू है या मुसलमान है. वह कलाकार की हैसियत से अपने गाने गाती हैं. फरमानी नाज़ का कहना है कि कलाकार के लिए कोई मजहब नहीं होता, वह सिर्फ अपने काम को अंजाम दे रही हैं.

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