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झारखंड की 'आकांक्षा' बनीं देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर - Union Minister of Coal and Mines Prahlad Joshi

महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. जमीन से लेकर आसमान तक अपना परचम लहरा रही हैं. हजारीबाग की आकांक्षा ने एकबार फिर साबित कर दिया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. वो भूमिगत खदान में काम करने वाली देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर हैं.

झारखंड की 'आकांक्षा'
झारखंड की 'आकांक्षा'

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Published : Sep 2, 2021, 5:29 PM IST

हजारीबाग :बिहार के हजारीबाग जिला स्थित बड़कागांव की धरती रत्नगर्भा के रूप में पूरे सूबे में जानी जाती है. इस रतनगर्भा में आज एक और रत्न जुटा है जिसका नाम है 'आकांक्षा'. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह महारत्न कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) में दूसरी महिला खनन इंजीनियर (female mining engineer) और भूमिगत कोयला खदान में काम करने वाली पहली महिला हैं.

हजारीबाग के बड़कागांव की रहने वाली आकांक्षा कुमारी ने आज इतिहास रचा है. वो सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड की उत्तरी कर्णपुरा क्षेत्र के चूरी में भूमिगत खदान में काम करने वाली देश की पहली महिला इंजीनियर बनी है. नारी शक्ति ने आज यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ घर की बागडोर नहीं संभाल सकती है, बल्कि राफेल उड़ाने से लेकर ओलंपिक में पदक जीतने से लेकर भूमिगत कोयला भी निकाल सकती है.

देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर

आकांक्षा सीसीएल के चार दशक के इतिहास में पहली बार महिला माइनिंग इंजीनियर के रूप में योगदान देने वाली कर्मी बनी है. जिसने मंगलवार को नॉर्थ कर्णपुरा क्षेत्र के चूरी भूमिगत खदान में ड्यूटी ज्वाइन की है. जिसने आज भ्रांति तोड़ दी है कि पुरुष ही सिर्फ माइनिंग में अपनी सेवा दे सकते हैं. अब बड़कागांव में उनके परिवार में खुशी का ठिकाना नहीं है. परिवार वाले एक दूसरे को शुभकामना दे रहे हैं और आकांक्षा के बारे में बता भी रहे हैं.

घर वाले बताते हैं कि वह शुरू से ही पढ़ने में काफी जुझारू थी. उसे कोयला से बेहद ही लगाव था. क्योंकि घर के अगल-बगल कोयला का खदान था. वह कोयला हमेशा कहा करती थी कि मैं 1 दिन कोयला जमीन के अंदर से निकाल लूंगी. उस वक्त उनके परिवार वाले यह समझ नहीं पाए और आज उस छात्रा ने इतिहास रच दिया. उनके पिता भी आकांक्षा के बारे में कहते हैं कि वह एक होनहार और जुझारू लड़की है. मां कहती हैं कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है. वहीं चाचा-चाची, घर के बूढ़े दादा सभी आकांक्षा के बारे में बताते हैं कि वह जो भी कहती थी उसे करती थी. आज उसी का परिणाम है कि वह आज उस मुकाम पर है जहां उसने इतिहास रचा है.

'आकांक्षा' का परिवार

आकांक्षा ने अपनी स्‍कूली पढ़ाई नवोदय विद्यालय से की है. बचपन से ही उसने अपने आसपास कोयला खनन की गतिविधियों को करीब से देखा है. इसके चलते खनन के प्रति उनकी रुचि शुरू से ही रही है. यही कारण है कि उन्होंने इंजीनियरिंग में माइनिंग शाखा का चुनाव किया. उन्होंने 2018 में बीआईटी (सिंदरी) धनबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की.

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कोल इंडिया में अपना योगदान देने से पहले उन्‍होंने तीन वर्ष तक हिन्‍दुस्‍तान जिंक लिमिटेड की राजस्‍थान स्थित बल्‍लारिया खदान में काम किया. उनके पिता अशोक कुमार बड़कागांव के एक स्कूल में शिक्षक हैं और मां कुमारी मालती गृहणी हैं.

झारखंड की 'आकांक्षा'

जोशी ने आकांक्षा कुमारी को बधाई दी

केंद्रीय कोयला और खान मंत्री प्रह्लाद जोशी (Union Minister of Coal and Mines Prahlad Joshi) ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के उत्तरी करनपुरा क्षेत्र के चूरी में भूमिगत खदान में काम करने वाली पहली महिला खनन इंजीनियर बनने पर आकांक्षा कुमारी को बधाई दी.

खान मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक जोशी ने कहा कि आकांक्षा कुमारी की यह उपलब्धि महिलाओं को भूमिगत कोयला खदानों में काम करने की अनुमति देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार द्वारा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने तथा उनके लिए और अवसर पैदा करने के कार्य में प्रगतिशील शासन का वास्तविक उदाहरण है.

महिला कर्मचारी डॉक्टर से लेकर सुरक्षा गार्ड तक और यहां तक ​​कि डंपर तथा बेलचा जैसी भारी मशीन एवं औजार चलाने तक की जिम्मेदारियों को निभाती रही हैं और हर भूमिका में उत्कृष्ट रही हैं.

हालांकि, यह पहला अवसर है जब दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनियों में से एक की मुख्य खनन गतिविधि में इस तरह का प्रगतिशील बदलाव देखने को मिलेगा.

आकांक्षा की उपलब्धि के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आकांक्षा महारत्न समूह कोल इंडिया लिमिटेड में दूसरी खनन इंजीनियर और भूमिगत कोयला खदान में काम करने वाली पहली महिला हैं.

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