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पंजाब : अकाली-बसपा गठबंधन में सबकुछ 'ऑलराइट' नहीं - Akali and BSP.

अकाली दल द्वारा 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की भारी घोषणा कर दी गई है. जिन सीटों पर अकाली दल मजबूत स्थिति में रहा है, उन पर बसपा ने कब्जा कर लिया है. हालांकि पिछले डेढ़ दशक से मोहाली सीट नहीं जीत पाने वाले अकाली दल ने बसपा को यह सीट देकर सभी अकाली नेताओं को चौंका दिया है. इस सीट से अकाली दल का कोई उम्मीदवार नहीं होने से कार्यकर्ताओं में निराशा है. पढ़ें पूरी खबर...

अकाली-बसपा गठबंधन
अकाली-बसपा गठबंधन

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Published : Sep 15, 2021, 12:04 AM IST

श्री चमकौर साहिब :अकाली दल द्वारा 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की भारी घोषणा के साथ ही हलका चमकौर साहिब से पिछली तीन पीढ़ियों से पार्टी से जुड़े परिवार के मौजूदा सक्रिय नेता हरमोहन सिंह संधू ने इस्तीफा दे दिया है. बसपा से गठबंधन के बाद अकाली दल ने कई सीटों का आदान-प्रदान किया था और शायद संधू भी एक और बदलाव की उम्मीद कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और संधू ने इस्तीफा दे दिया. दूसरी ओर, बसपा के पास पहले कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं था और यह देखना बाकी है कि पार्टी पुराने चेहरे राजा नरिंदर सिंह नन्हेरी पर जुआ खेलेगी या दूसरा चेहरा लाएगी. बसपा अकाली दल से मदद की उम्मीद कर रही है.

कई सीटों पर अकाली दल के कार्यकर्ताओं में है नाराजगी

गौरतलब है कि जिन सीटों पर अकाली दल मजबूत स्थिति में रहा है, उन पर बसपा ने कब्जा कर लिया है. हालांकि अकाली दल पिछले डेढ़ दशक से मोहाली सीट नहीं जीत पाया है. लेकिन अकाली दल ने बसपा को सीट देकर सभी अकाली नेताओं को चौंका दिया है. इस सीट से अकाली दल का कोई उम्मीदवार नहीं होने से कार्यकर्ताओं में निराशा है. वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ नेता मलूका को मनाने के लिए पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को खुद उनके घर जाना पड़ा और मलूका अपने बेटे को पार्टी में वरिष्ठ पद देने के बाद ही चुनाव लड़ने को तैयार हुए. इससे पहले उन्होंने घोषित टिकट लौटा दिया था. अकाली दल को पहले अपने परिवार के सदस्य आदेश प्रताप सिंह कैरों से नाराजगी का सामना करना पड़ा था, जो विरसा सिंह वल्टोहा के साथ खेमकरण सीट के लिए मैदान में हैं

विरोध के बावजूद बसपा दोआबा में मजबूत

दोआबा में बहुजन समाज पार्टी मजबूत स्थिति में है. गठबंधन में सीटों के बंटवारे के दौरान पार्टी नेताओं ने फिल्लौर, बंगा और आदमपुर सीटों की मांग की और पार्टी के भीतर अभी भी इसका विरोध हो रहा है. दूसरी ओर, अकाली दल अपने मौजूदा विधायक खैरा, डॉ सुखी और पवन टीनू के कारण इन सीटों को खोना नहीं चाहता है. सूत्रों ने बताया कि आदमपुर और बंगा में बसपा कार्यकर्ताओं और नेताओं का विरोध भारी विरोध के बाद कुछ हद तक शांत हुआ है. लेकिन फिल्लौर सीट के लिए अभी भी बसपा प्रचार कर रही है. हालांकि, अनिल जोशी, जो भाजपा छोड़कर अकाली दल में शामिल हो गए, के लिए अकाली दल ने अमृतसर उत्तर और सुजानपुर सीटों के लिए बसपा के साथ सीटों का आदान-प्रदान किया है. माझा में इन सीटों के बदले बसपा को दोआबा में 84 और कपूरथला में 8 सीटें दी गई हैं. इसके साथ ही बसपा दोआबा में मजबूत महसूस कर रही है.

क्लासिक परिवार ने अकाली दल से नाता तोड़ा

ज्ञात हो कि सतवंत कौर संधू को एक उत्कृष्ट नेता माना जाता था और उनके पूरे परिवार को अकाली दल ने क्षेत्र की सेवा के लिए लामबंद किया था, लेकिन उनके बीच संबंध पहली बार 2017 के चुनावों में सामने आए जहां उनके परिवार को टिकट दिया गया था. टिकट दिया गया था. श्री चमकौर साहिब विधानसभा सीट क्लासिक परिवार सतवंत कौर संधू पांच बार विधायक और दो बार मंत्री रह चुकी हैं. 2017 के चुनावों में शिरोमणि अकाली दल द्वारा अपना उम्मीदवार बदलने के बाद न्यायमूर्ति निर्मल सिंह ने यह सीट खाली कर दी थी.

कौन हैं हरमोहन सिंह संधू?

हरमोहन सिंह संधू पूर्व कैबिनेट मंत्री सतवंत कौर संधू के बेटे हैं, जिन्होंने एसएसपी की नौकरी छोड़ दी और शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए. सूत्रों ने बताया कि सुखबीर सिंह बादल ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट देने का वादा किया था. जिसके बाद उन्होंने 2016 में एसएसपी के पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के कहने पर अपना इस्तीफा वापस ले लिया और 2017 में शिरोमणि अकाली दल ने जस्टिस निर्मल सिंह को उसी सीट से हटा दिया.

श्री चमकौर साहिब में बदले राजनीतिक समीकरण

गौरतलब है कि हरमोहन सिंह संधू ने शिरोमणि अकाली दल से इस्तीफा दे दिया है। हरमोहन सिंह संधू ने अपनी एसएसपी की नौकरी छोड़ दी और शिरोमणि अकाली दल में शामिल हो गए. हरमोहन सिंह संधू ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए अपने इस्तीफे की घोषणा की. यह निर्वाचन क्षेत्र भी राजनीति में आने के बाद करीब साढ़े चार साल से सक्रिय है. इस दौरान उन्होंने अपना नया कैडर भी बनाया. बहरहाल, अब जबकि शिरोमणि अकाली दल ने अलविदा कह दिया है, विधानसभा श्री चमकौर साहिब का राजनीतिक समीकरण बदल रहा है, यह तो वक्त ही बताएगा कि हरमोहन सिंह संधू राजनीतिक दल में शामिल होंगे या नहीं.

यह बात उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिए लोगों से कही

उनके इस्तीफे के बाद हरमोहन सिंह संधू ने सोशल मीडिया पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने लोगों से कहा कि कांग्रेस और श्री चमकौर साहिब को स. चरणजीत सिंह चन्नी से मुक्त कराने के लिए सभी संगत पंजाब ने मन बना लिया है.

पढ़ें :पंजाब विस चुनाव : शिरोमणी अकाली दल ने 64 उम्मीदवारों को बांटे टिकट, देखें सूची

गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल और बसपा ने विधानसभा चुनाव को लेकर गठबंधन किया था, जिसका हिसाब बहुजन समाज पार्टी ने चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र में रखा था.

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