अजमेर. कैंसर का नाम सुनते ही सांसें अटक जाती हैं, जीवन में चारों तरफ बस अंधेरा ही (Ajmer Jayant defeated cancer) नजर आने लगता है. इस जानलेवा बीमारी ने अब तक हजारों लोगों की जान ली है. आज भी कैंसर और इसके इलाज के बीच कई लोगों की हिम्मत जवाब दे जाती है. लेकिन कुछ चुनिंदा लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी हिम्मत और धैर्य के भरोसे इस बीमारी को हराकर जिंदगी के पथ पर मुस्कुराकर आगे बढ़ चले. ऐसे ही एक शख्स हैं अजमेर के जयंत कंदोई. जयंत ने एक बार, दो बार नहीं बल्कि 6 बार कैंसर को मात दी है. आज जयंत ना केवल अपनी जिंदगी जी रहे हैं, बल्कि कैंसर की पीड़ितों की मदद भी कर रहे हैं.
कैंसर आज भी ऐसी जानलेवा बीमारियों की सूची में शामिल है, जिससे निजात पाना आसान नहीं है. इसका उपचार तकलीफ देह होने के साथ ही खासा महंगा है. लेकिन इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए अजमेर के जयंत कुंदोई जीवन पथ पर बढ़ते गए. उन्होंने 10 साल में 6 बार कैंसर को मात दी है. आज वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ ही एक प्राइवेट बैंक में बतौर सहायक मैनेजर नौकरी कर रहे हैं.
10 साल में 6 बार कैंसर को हराया. पिता के हौसले ने बनाया मजबूत और जीत ली जंगःअजमेर के पंचशील इलाके (Panchsheel area of Ajmer) के निवासी जयंत कंदोई साल 2013 में जब 10वीं कक्षा में थे, तब उन्हें गले में कैंसर हो गया था. 2015 में गले के राइट साइड में भी कैंसर हो गया. इसके बाद 2017 में पेट में कैंसर की गांठ होने की बात सामने आई. वहीं, 2019 में पैन क्रेटिक कैंसर होने के कारण बचने की उम्मीद ना के बराबर थी. लेकिन पिता के दिए हौसले ने (Jayant beat cancer 6 times) जयंत को मजबूत बनाया और वे इस बीमारी से धैर्य के साथ लड़ते रहे और बीमारी को मात दे दी. इसके बाद 2019 में सीधे हाथ के बाजू में उन्हें कैंसर हुआ था और फिर 2020 में लोअर एब्डोमेन में कैंसर हुआ.
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जयंत की मां नीलिमा गर्ग बताती हैं कि जयंत के पिता अशोक गर्ग की हिम्मत है कि सब सकारत्मक है. वह हमेशा जयंत का हौसला बढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे भी हमेशा विश्वास था कि जयंत ठीक हो जाएगा. पिता के दिए हौसले, मां के विश्वास और जयंत की इच्छाशक्ति का ही नतीजा है कि वे आज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं.
12 कीमोथेरेपी, 60 रेडियो कीमोथेरेपी लीः ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जयंत ने बताया कि 2013 में जब पहली बार कैंसर हुआ था. तब से लेकर 2020 तक वे 12 कीमोथेरेपी और 60 रेडियो कीमोथेरेपी ले चुके हैं. साथ ही 4 बार आरचोप, ओरल कीमो, 7 बार सर्जरी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट करवा चुके हैं. इन चुनौतियों को जयंत बड़े धैर्य और हौसले के साथ पार करते हुए आज अपने पैरों पर खड़े हैं. जयंत इस हद तक सकारात्मक हैं कि आज भी वह कैंसर को महज एक बीमारी के रूप में देखते हैं.
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बेटा बोला पिता की बदौलत जीती जिंदगीः ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए जयंत ने बाताया कि कैंसर को मात देने में माता-पिता, भाई-बहन, रिश्तेदार, दोस्त सभी ने सपोर्ट किया. लेकिन सबसे ज्यादा सपोर्ट पिता अशोक गर्ग से मिला है. जयंत ने कहा कि पिता हर वक्त मेरा हाथ थामे रहे. उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया. वह पिता ही थे कि जिन्होंने अपनी सारी पूंजी मेरे इलाज में लगा दी. इसके बाद भी उनके चेहरे पर शिकन तक नहीं थी. जयंत बताते हैं कि पिता अशोक गर्ग अजमेर के निकट बड़लिया गांव के एक स्कूल में कनिष्ठ लिपिक हैं. वे कहते हैं कि 'मेरे पिता हमेशा सकारात्मक बातें करते हैं. जिसकी बदौलत आज मैं कैंसर जैसी बीमारी को मात देने में सफल हो सका हूं.'
आज कैंसर पीड़ितों की करते हैं आर्थिक मददः कभी खुद कैंसर से जूझ रहे जयंत आज अपने साथियों के साथ मिलकर कैंसर पीड़ितों की आर्थिक मदद करते हैं. जयंत ने बताया कि जब वह 2016 में कैंसर से लड़ रहे थे, तभी उन्होंने अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर सिटी स्टार क्लब एनजीओ बनाया. वर्तमान में क्लब में 200 से अधिक सदस्य हैं. सभी नियमित रूप से भामाशाह के रूप में कैंसर पीड़ित लोगों की आर्थिक मदद करते हैं. जयंत ने बताया कि क्लब की ओर से अब तक करीब 150 लोगों की मदद कर चुके हैं.