मुंबई : पहले शरद पवार और अजित पवार की मुलाकात, और अब महाराष्ट्र में प्रतिपक्ष के नेता विजय वड्डेटीवार के बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली मचा दी है. उद्धव ठाकरे गुट से लेकर कांग्रेस में बेचैनी का आलम है. सत्ताधारी गठबंधन की अगुआई कर रही शिवसेना भी अचंभित है. दरअसल, वड्डेटीवार ने दावा किया है कि अगर शरद पवार, अजित पवार के साथ हो गए, तो अजित पवार का सीएम बनना तय है. वड्डेटीवार ने कहा कि इस शर्त को और किसी ने नहीं, बल्कि खुद पीएम मोदी ने रखी है.
वड्डेटीवार का दावा है कि पीएम ने कहा है कि अगर अजित पवार को सीएम बनना है, तो पहले शरद पवार को अपने पाले में करें. एक दिन पहले कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने भी ऐसा ही दावा किया था. उन्होंने कहा था कि भाजपा ने अजित को शरद पवार को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी है. चव्हाण का एक बयान मीडिया में आया है. इसके अनुसार शरद पवार को केंद्रीय मंत्री या फिर नीति आयोग में जगह दिए जाने का ऑफर है. चर्चा ये भी है कि शरद पवार अगर मंत्री न बनें, तो उनकी बेटी सुप्रिया सुले को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. एनसीपी नेता जयंत पाटिल को भी बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की खबर है. हालांकि, स्वतंत्र रूप से इन खबरों की किसी ने पुष्टि नहीं की है.
कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने शरद पवार से इस ऊहाफोह को लेकर स्पष्ट रूख जाहिर करने की अपील की है. उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने भी इससे मिलता-जुलता बयान दिया है. हालांकि, उनकी बातें थोड़ी अलग अंदाज से कही गईं हैं. उन्होंने मीडिया को बताया कि शरद पवार बड़ी राजनीतिक हस्ती हैं. राउत ने पूछा कि क्या अजित पवार की इतनी राजनीतिक हैसियत है कि वह सीनियर पवार को पद ऑफर कर सकें. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति खुद चार बार सीएम रह चुका हो, केंद्रीय मंत्री रह चुका हो, 60 साल का लंबा राजनीतिक करियर हो, उस व्यक्ति को पद की क्या लालसा होगी.
वैसे एक दिन पहले ही शरद पवार ने भी सार्वजनिक रूप से इस ऑफर को ठुकरा दिया था. सीनियर पवार ने कहा कि उनका भाजपा के साथ जाने का कोई इरादा नहीं है. हालांकि, यह सबको पता है कि राजनीति में कब कौन सी परस्थिति बन जाए, कहना मुश्किल है. और शरद पवार के बारे में प्रेडिक्शन और भी मुश्किल है.
दरअसल, शरद पवार और अजित पवार की सीक्रेट मीटिंग को लेकर पूरा बवाल खड़ा हुआ है. उनकी बैठक एक उद्योगपति के घर पर हुई थी. इस बैठक के बारे में जब शरद पवार से पूछा गया, तो उन्होंने इसे निजी मुलाकात या फिर पारिवारिक मुलाकात बताया. इसके बाद शरद पवार ने भाजपा की ओर जाने की खबरों का भी खंडन किया. लेकिन अजित पवार और सीनियर पवार की मुलाकात के बाद शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस, दोनों ही टेंशन में हैं.