ग्वालियर। निकाय चुनाव और सरपंच के लिए वोटिंग का काउंटडाउन शुरू हो गया है. कुर्सी पर काबिज होने के लिए उम्मीदवार एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. उम्मीदवार और उनके समर्थक दूसरे खेमे पर वोटर के लालच के आरोप ठोक रहे हैं. इनमें बंदूक, हेडपंप, बिजली की डीपी से लेकर वोट के बदले तबादले का खुला ऑफर बताया जा रहा है. शिकवा शिकायत पुलिस-प्रशासन के अफसरों के कान तक भी पहुंच रही है. अंचल में इस समय सबसे ज्यादा बंदूक के लाइसेंस की अनुशंसा की सिफारिश का आंकड़ा है. क्योंकि यहां पर लोग बिजली, सड़क और पानी की अपेक्षा बंदूक के लाइसेंस को ज्यादा महत्व देते हैं.
चुनाव के समय कई गुना बढ़ जाती है लाइसेंस की मांग मतदाताओं को रिझा रहे प्रत्याशी: ग्वालियर-चंबल अंचल में सरपंच और निकाय चुनाव के लिए जंग दिन-ब-दिन तेज हो रही है. मैदान में उतरे उम्मीदवार, मतदाताओं से ताल ठोक रहे हैं. सरपंच बनाओ गांव की तस्वीर बदल देंगे, लेकिन विकास के दावों के साथ वोट के बदले बंदूक से लेकर मनचाही जगह पर तबादले का ऑफर भी चल रहा है. जिसको लेकर स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ऐसे लोगों पर नजर रखी जा रही है, जो इस तरह का प्रलोभन दे रहे हैं, साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.
चुनाव के समय कई गुना बढ़ जाती है लाइसेंस की मांग चुनाव बाद ठंडे बस्ते में चले जाते हैं वादे: चुनावी मैदान में उतरने वाले भी मतदाताओं की नब्ज को समझते हैं. यह पहला मौका नहीं है, जब वोट के बदले बंदूक का ऑफर चला हो. पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक में यहां यह फंडा चलता है. वोट दो बंदूक लो, मजेदार बात ये है कि चुनाव जीतने के बाद यह वादे भी ठंडे बस्ते में ही चले जाते हैं. इस साल गर्मी तपा रही है, तमाम गांव में बिजली और पानी की किल्लत है. खासकर घाटी गांव तिघरा के पथरीले इलाके के कई गांव पानी के लिए परेशान है. इसलिए घर तक पानी बिजली का ऑफर भी चल रहा है.
चुनाव के समय कई गुना बढ़ जाती है लाइसेंस की मांग
बंदूक लाइसेंस की अनुशंसा ग्वालियर चंबल अंचल में आम बात है. लेकिन चुनाव के वक्त आवेदनों की संख्या चार गुनी हो जाती है. लेकिन बंदूक लाइसेंस उसे ही मिलता है जिसको जरूरत है.
- इक्षित गढ़पाले, अपर कलेक्टर
चुनाव के समय कई गुना बढ़ जाती है लाइसेंस की मांग: ग्वालियर चंबल अंचल में नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में सबसे ज्यादा उम्मीदवारों के पास ऐसे लोग पहुंच रहे हैं, जिनको बंदूक के लाइसेंस की जरूरत है. लोगों को भी उम्मीद रहती है कि, चुनाव के वक्त ही सुनवाई हो सकती है, इसलिए वह सबसे ज्यादा बंदूक लाइसेंस की मांग चुनाव पर ही करते हैं. ऐसे में गांव के उम्मीदवारों से बातचीत की, तो उनका कहना है कि लोग पानी और सड़क की मांग के अलावा भी बंदूक के लाइसेंस की मांग करते हैं. इसके साथ ही उम्मीदवार भी बंदूक लाइसेंस बनवाने का आश्वासन देते हैं, यही वजह है कि प्रशासन के पास बंदूक के लाइसेंस की अनुशंसा करने के लिए दर्जनभर आवेदन आ रहे हैं.
चुनाव के समय कई गुना बढ़ जाती है लाइसेंस की मांग चंबल में बंदूक को माना जाता है स्टेटस सिंबल: ग्वालियर चंबल अंचल ऐसा इलाका है, जहां पर सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में लाइसेंसी बंदूक हैं. इनमें सबसे ज्यादा मुरैना, भिंड और ग्वालियर जिला शामिल हैं. इन तीनों जिलों को मिलाकर कुल 80 हजार से अधिक लाइसेंसी बंदूक हैं और यही वजह है कि ग्वालियर चंबल अंचल के लोग लाइसेंसी बंदूक को अपना स्टेटस सिंबल भी मानते हैं. सबसे ज्यादा चुनावों में शस्त्र लाइसेंस बनवाने की मांग रहती है, यही वजह है कि जनप्रतिनिधि भी लोगों को लालच देने के लिए लाइसेंस बनवाने का आश्वासन देते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल के हर घर में दो से तीन बंदूक मौजूद हैं और जब भी वह शादी समारोह या किसी अन्य कार्यक्रम में जाते हैं तो उसे अपने कंधे पर जरूर लटकाते हैं.