दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Aja Ekadashi 2021 : भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस शुभ मुहूर्त में करें ऐसे पूजन

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. 3 सितंबर को अजा एकादशी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत करने वालों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य सभी सुखों को भोगकर अंत में विष्णु लोक को जाता है.

Aja Ekadashi 2021
Aja Ekadashi 2021

By

Published : Sep 3, 2021, 12:10 AM IST

पानीपत :भादो मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व माना गया है. प्राचीन शास्त्रों के अनुसार हर एकादशी का व्रत करना चाहिए, एकादशी महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है. यह हर साल 9 महीने (सितंबर) माह की 3 तारीख को मनाई जाती है.

पूजा करने की विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण कर मंदिर के पूर्व दिशा में एक चौकी रखें उस पर पिलाया या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें तथा भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक कर फूल और तुलसी अर्पित करने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें. विष्णु जी और लक्ष्मी को सात्विक चीजों का भोग लगाएं. ध्यान रखें भगवान विष्णु को भोग लगाते समय तुलसी जरूर रखें, बिना तुलसी के विष्णु जी भोग स्वीकार नहीं करते. धूप बत्ती जलाकर तस्वीर के साथ कलश रखें, भगवान के लिए लौंग, पान, सुपारी, फूल और फल रखें. इस पूजा के दौरान ॐ अच्युताय नमः मन्त्र का 108 बार जाप किया जाए तो भगवान खुश होते हैं.

जानिए महत्व और शुभ मुहूर्त.

पूजा के बाद पूरा दिन व्रत रखकर शाम के समय अजा एकादशी की कथा सुने और फल खाएं. भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं. दूसरे दिन की द्वादशी को मान्यता है कि ब्राह्मणों को भोजन कराएं उसके बाद उन्हें दक्षिणा दें फिर उसके बाद खुद व्रत तोड़कर खाना खाएं.

अजा एकादशी का महत्व

पंडित हरिशंकर शर्मा ने बताया कि पौराणिक कहानियों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत कथा सुनाते हुए बताया था कि सतयुग में अत्यंत वीर प्रतापी और सत्यवादी हरिश्चंद्र नामक राजा राज करता था, उसने स्वपन में ऋषि विश्वामित्र को दक्षिणा चुकाने के लिए अपना सारा राज्य दान में दे दिया था. साथ ही उसने अपनी पत्नी पुत्र और स्वयं को भी बेच दिया था. इसके बाद वह एक चांडाल के दास बन गए. चांडाल के यहां कार्य करते हुए कई वर्ष बीत गए तो उन्हें अपने इस कृत्य पर बड़ा दुख हुआ. वह इससे मुक्त होने का उपाय खोजने लगे. वह सदा इसी चिंता में रहने लगे कि मैं नीच कर्म से मुक्ति पाने के लिए क्या करूं.

इस चिंता में राजा को कई वर्ष बीत गए, एक दिन वह इसी चिंता में बैठे हुए थे तभी वहां पर गौतम ऋषि पहुंचे. राजा गौतम ऋषि को देखकर काफी प्रसन्न हुए. हरिश्चंद्र ने दंडवत प्रणाम किया और अपनी दुख भरी कथा सुनाई. हरिश्चंद्र की दुख भरी कहानी सुन महर्षि गौतम दुखी हुए, उन्होंने राजा से कहा राजन आज से 7 दिन बाद भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की एकादशी आएगी, इस एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है. तुम इस एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत करो. रात में जागरण करो तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे. यह कहकर गौतम ऋषि वहां से चले गए. राजा हरिश्चंद्र ने उनके बताए अनुसार अजा एकादशी का व्रत कर जागरण किया, जिससे उनके पाप नष्ट हो गए. तब से अजा एकादशी के व्रत को मनवांछित फल पाने के लिए किया जाता है.

अजा एकादशी शुभ मुहूर्त

गुरुवार, 2 सितंबर 2021 को सुबह 06 बजकर 21 मिनट पर एकादशी तिथि शुरू होगी और शुक्रवार को 3 सितंबर 2021 को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर अजा एकादशी समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार अजा एकादशी का व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा.

पढ़ेंःपुत्रदा एकादशी 2021 : जानें व्रत की विधि, मुहूर्त और पारण का समय

पढ़ेंःजानिए देवशयनी एकादशी के शुभ मुहूर्त, इस विधि से करें पूजा तो प्रसन्न होंगे विष्णु भगवान

ABOUT THE AUTHOR

...view details