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हवाईअड्डों के निजीकरण से विमानन बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा: विशेषज्ञ

छह लाभ वाले हवाई अड्डों के साथ घाटे में चल रहे हवाई अड्डों को जोड़ने के सरकार के फैसले से निश्चित रूप से निजीकरण की गति दोगुनी हो जाएगी.

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Published : Mar 18, 2021, 10:26 AM IST

airports privatisation to boost aviation infrastructure
विमानन बुनियादी ढांचे को बढ़ावा

नई दिल्ली:नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 13 हवाई अड्डों के प्राइवेटाईजेशन करने का फैसला किया है. बता दें, ऑपरेशन, प्रबंधन और विकास समझौते मॉडल के माध्यम से एयरपोर्ट निजीकरण के अगले दौर में 6 प्रॉफिट वाले हवाई अड्डों के साथ-साथ घाटे में चल रहे 7 एयरपोर्टों के निर्माण की योजना बनी है. इस मामले पर विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस फैसले से नुकसान कम होगा और विमानन अवसंरचना के विकास को बढ़ावा मिलेगा.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने झारसुगुडा (16.29 करोड़ रुपये का नुकसान) के साथ भुवनेश्वर हवाई अड्डे (34.22 करोड़ रुपये), इंदौर एयरपोर्ट (4 करोड़ रुपये का लाभ) के साथ जबलपुर (19.24 करोड़ रुपये) को जोड़ने की योजना बनाई है. इसके साथ-साथ कुशीनगर (डेटा उपलब्ध नहीं) और वाराणसी(1.6 करोड़ का नुकसान) के साथ गया हवाईअड्डा (26 करोड़ रुपये का नुकसान), अमृतसर हवाई अड्डा (92 लाख का लाभ), कांगड़ा (9 करोड़ रुपये का नुकसान), रायपुर हवाई अड्डा (26.75 करोड़ रुपये का नुकसान) को जलगांव के साथ (3.72 करोड़ रुपये का नुकसान), सलेम(8.76 करोड़ रुपये का नुकसान) और त्रिची का हवाई अड्डा (22.85 करोड़ रुपये का लाभ) को जोड़ने की तैयारी है. बता दें, यह आंकड़ें पिछले साल 2020 के हैं.

वहीं, इस मामले पर लीगल प्रोजेक्ट्स पार्टनर अंजन दासगुप्ता ने कहा कि हवाई अड्डों को जोड़ने की योजना सरकार के लिए कापी आकर्षक साबित हो सकती है. उन्होंने कहा कि मेरे विचार में यह सरकार का एक अच्छा कदम है क्योंकि इस तरह से घाटे में चल रहे देश के मूल्यवान हवाई अड्डों को नई संजीवनी मिलेगी. उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों के मुद्रीकरण से सरकार को अन्य हवाई अड्डों और विमानन बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए आय का उपयोग करने में मदद मिलेगी.

वहीं, विमानन विशेषज्ञ अमेय जोशी ने भी कहा कि छह लाभ वाले हवाई अड्डों के साथ घाटे में चल रहे हवाई अड्डों को जोड़ने के सरकार के फैसले से निश्चित रूप से निजीकरण की गति दोगुनी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि यहां देखने वाली दिलचस्प वाली बात लगाई जाने वाली बोली होगी. अडानी समूह को फरवरी 2019 में अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलोर, तिरुवनंतपुरम, जयपुर और गुवाहाटी हवाई अड्डों से छह हवाई अड्डों के संचालन को लिए बोली लगाई थी.

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वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जुलाई 2019 में अडानी समूह को मैंगलोर, लखनऊ और अहमदाबाद के हवाई अड्डों को मंजूरी प्रदान की थी. तीनों हवाई अड्डों के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया दिसंबर 2020 में पूरी हुई, जो अगले 50 साल की लीज के लिए दिया गया है.

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