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Published : Oct 24, 2021, 2:13 PM IST

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भारत में एयरलाइंस परिचालन लागत ज्यादा, यात्रियों के हित में एईआरए की मजबूती : IATA

भारत में एयरलाइंस के परिचालन की लागत काफी ऊंची है और ऐसे में जरूरी है कि विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (एईआरए) को और सशक्त किया जाए, जिससे यात्रियों के हितों का संरक्षण हो सके.

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नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (आईएटीए) के एशिया-प्रशांत के लिए क्षेत्रीय उपाध्यक्ष फिलिप गोह ने यह राय जताई है कि भारत में एयरलाइंस के परिचालन की लागत काफी ज्यादा है और ऐसे में विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (एईआरए) को और सशक्त करने की जरूरत है.

एईआरए किसी अवधि के लिए हवाईअड्डे के खर्च और आमदनी के अनुमान के आधार पर शुल्क तय करता है. एईआरए द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि किसी अवधि के लिए कोई हवाईअड्डा एयरलाइन या यात्रियों से कितना मूल हवाईअड्डा शुल्क, विमान उतारने का शुल्क, पार्किंग शुल्क और यात्री सेवा शुल्क वसूलेगा.

गोह ने एक बातचीत के दौरान कहा, 'पिछले साल के दौरान देश के प्रमुख हवाईअड्डों पर तीसरी नियंत्रण वाली अवधि की शुल्क समीक्षा के दौरान एईआरए ने स्वतंत्र नियामक के रूप में काफी अच्छा काम किया है.'

उन्होंने कहा, 'ऐसे समय जबकि सरकार राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetization Pipeline) के तहत हवाईअड्डों की संपत्तियों के मौद्रिकरण पर जोर दे रही है, यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि एईआरए को सशक्त किया जाए, जिससे उपभोक्ता हितों का संरक्षण हो सके.'

पिछले साल फरवरी में कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद एईआरए ने दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े हवाईअड्डों की तीसरी नियंत्रण अवधि में शुल्कों में बड़ी बढ़ोतरी की मांग को खारिज कर दिया था. यह अवधि अप्रैल, 2019 से शुरू होकर मार्च, 2024 में खत्म होगी.

उदाहरण के लिए एईआरए ने दिसंबर, 2020 में दिल्ली हवाईअड्डे की परिचालक डायल की मूल हवाईअड्डा शुल्क में 424 प्रतिशत की वृद्धि की मांग को ठुकरा दिया था.

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इसी तरह उसने फरवरी, 2021 में मुंबई हवाईअड्डे की परिचालक की घरेलू उड़ानों के यात्रियों पर 200 रुपये और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के यात्रियों पर 500 रुपये का तदर्थ प्रयोगकर्ता विकास शुल्क लगाने की मांग को भी खारिज कर दिया था.

नागर विमानन मंत्रालय को बदलना चाहिए रुख
गोह ने कहा कि यही वजह है कि स्वतंत्र हवाईअड्डा नियामक के रूप में एईआरए की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. अन्यथा हवाईअड्डों द्वारा बिना न्यायोचित आधार, पारदर्शिता तथा निगरानी के शुल्कों में बढ़ोतरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि ऊंची लागत के वातावरण में हवाईअड्डा शुल्क समस्या का सिर्फ एक हिस्सा है. 'हम चाहते हैं कि नागर विमानन मंत्रालय भारतीय हवाईअड्डा रॉयल्टी में किराया चाहने के अपने रुख में बदलाव करें.'

उन्होंने कहा कि इसी तरह भारतीय विमाननन सुरक्षा शुल्क (एएसएफ) में बढ़ोतरी हुई है. यह शुल्क जुलाई, 2019 में लाया गया था. अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए इस शुल्क में दो साल की अवधि में 370 प्रतिशत तथा घरेलू यात्रियों के लिए 54 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

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