नई दिल्ली : जिस तरह निरंतर वायु प्रदूषण ने पूरे भारत में बड़े पैमाने पर शुष्क बना दिया है, उस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि जहरीली हवा बच्चों में फेफड़ों के विकास और फंक्शन को कम कर रही है.
इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ जयेश एम लेले ने कहा कि वायु प्रदूषण लगातार स्वास्थ्य के लिए खतरा बनता जा रहा है. डॉ लेले ने कहा, 'सभी वर्ग के लोग वायु प्रदूषण से ग्रस्त हैं. यह बच्चों में फेफड़ों की गंभीर समस्या पैदा कर रहा है और वयस्कों के लिए अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर रहा है.'
उन्होंने कहा कि उच्च वायु प्रदूषण हृदय और सांस की बीमारी को बढ़ा सकता है. डॉ लेले ने कहा, 'प्रदूषित हवा के लगातार संपर्क में आने से फेफड़ों की क्षमता कम हो सकती है और यह अस्थमा और ब्रोंकाइटिस को बढ़ावा देती है.
वहीं, डब्ल्यूएचओ के अनुसार वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से 70 लाख लोगों की समय से पहले मौत होने का अनुमान है और इसके परिणामस्वरूप हर साल लाखों लोगों को नुक्सान होता है. इससे बच्चों में फेफड़ों की वृद्धि और कार्य में कमी, श्वसन संक्रमण और बढ़े हुए अस्थमा जैसे रोग हो सकते हैं.
वायु प्रदूषण के कारण वयस्कों में इस्केमिक हृदय रोग और स्ट्रोक बाहरी समय से पहले मौत के सबसे आम कारण हैं.
डब्ल्यूएचओ के पिछले 2005 के वैश्विक अपडेट के बाद से इस बात के प्रमाण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है कि वायु प्रदूषण जीवन के विभिन्न पहलुओं को कैसे प्रभावित करता है.
दिलचस्प बात यह है कि डब्ल्यूएचओ ने एक दिशानिर्देश में पांच प्रदूषकों के लिए वायु गुणवत्ता के स्तर की सिफारिश की, जहां साक्ष्य ने स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव डाला है. जब इन प्रदूषकों-पार्टिकुलेट मैटर (particulate matter), ओजोन (ozone), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (nitrogen dioxide ), सल्फर डाइऑक्साइड (sulfur dioxide ) और कार्बन मोनोऑक्साइड (carbon monoxide) पर कार्रवाई की जाती है, तो इसका अन्य हानिकारक प्रदूषकों पर भी प्रभाव पड़ता है.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार और पर्यावरण अनुसंधान पत्रिका में प्रकाशित भारत में 14 साल से अधिक उम्र के लोगों में होने वाली कुल मौतों का कम से कम 30 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन से वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि 18 शहरों के साथ महाराष्ट्र सबसे अधिक प्रदूषित शहरों वाले राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 16 शहर और आंध्र प्रदेश में 13 शहर हैं। महाराष्ट्र के शहर इइके चंद्रपुर, औरंगाबाद, पुणे, ठाणे मुंबई सहित अन्य सबसे अधिक प्रदूषक हैं.