नई दिल्ली:एयर इंडिया में पेशाब करने के मामले में पीड़ित ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) और एयरलाइन कंपनियों को निर्देश देने की मांग की कि विमान में सवार यात्रियों के दुर्व्यवहार की घटनाओं से निपटने के लिए नियम बनाए जाएं. पीड़ित ने स्पष्ट जीरो-टोलरेंस की नीति पर जोर दिया और कहा कि ऐसे नियम हों जिसमें कानून प्रवर्तन को रिपोर्ट करना अनिवार्य हो, विफल होने पर सभी मामलों में एयरलाइनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से मीडिया को कार्यवाही पर रिपोटिर्ंग करने से रोकने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि फ्लाइट में अत्यधिक शराब परोसे जाने के बाद एक अनियंत्रित यात्री ने याचिकाकर्ता पर पेशाब करने के बाद, नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करने में विफल रहा है. याचिका में कहा गया है कि अनुमानों से भरी व्यापक राष्ट्रीय प्रेस रिपोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पीड़ित के रूप में याचिकाकर्ता के अधिकार को गंभीर रूप से कम कर दिया है और निष्पक्ष रूप से अभियुक्तों के अधिकारों को भी प्रभावित किया है.
अधिवक्ता राहुल नारायण के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया, 'याचिकाकर्ता की एयर सेवा शिकायत के चयनात्मक रूप से लीक होने, प्राथमिकी और एक विशिष्ट कथा से मेल खाने के लिए चुनिंदा गवाहों के बयान मीडिया को जारी किए जाने के कारण स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार भी काफी हद तक प्रभावित हुए हैं.' दलील में कहा गया है कि इस घटना के कारण याचिकाकर्ता 12 घंटे की लंबी उड़ान के दौरान सदमे और संकट में पड़ गई और चालक दल असहयोगी था.