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तृणमूल के साथ गठबंधन को एआईएमआईएम तैयार, दीदी की बढ़ी टेंशन

बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक हलकों से आरोप लगाए गए कि वास्तव में असदुद्दीन ओवैसी का असली खेल अल्पसंख्यक वोटों को विभाजित करके बीजेपी को फायदा पहुंचाना है. अब ओवैसी ने इसका जवाब बड़े सधे अंदाज में दिया है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

Owaisi and Mamta
ओवैसी व ममता

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Published : Nov 13, 2020, 8:29 PM IST

कोलकाता: असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का खेल बिगाड़ा है. बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद राजनीतिक हलकों से आरोप लगाए गए कि वास्तव में ओवैसी का असली खेल अल्पसंख्यक वोटों को विभाजित करके बीजेपी को फायदा पहुंचाना है.

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं और ओवैसी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी बंगाल चुनाव भी लड़ेगी. ऐसी स्थिति में, कई आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि बिहार की तरह बंगाल में भी एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों का विभाजन कर बीजेपी को फायदा पहुंचाएगी. इन्हीं आशंकाओं और आरोपों का जवाब देते हुए एआईएमआईएम नेतृत्व ने आगामी चुनावों में भाजपा को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस-एआईएमआईएम गठबंधन के लिए एक खुला निमंत्रण भेजा है.

ममता बनर्जी को घेर दिया
ईटीवी भारत से एआईएमआईएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पार्टी के बंगाल पर्यवेक्षक असीम वकार ने कहा कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए हमारा नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहता है. 2019 के लोकसभा चुनावों के परिणामों से यह स्पष्ट है कि तृणमूल कांग्रेस इस बार भाजपा का मुकाबला नहीं कर पाएगी. इसलिए हमारे नेता असदुद्दीन ओवैसी तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन चाहते हैं. अब यह ममता बनर्जी को तय करना है. अगर वह गठबंधन के लिए तैयार हैं तो उसका स्वागत है, अन्यथा एआईएमआईएम अपने दम पर बंगाल चुनाव लड़ेगी. हम पश्चिम बंगाल की हर सीट पर उम्मीदवार खड़ा करना चाहते हैं. जल्द ही हम सीटों की संख्या और निर्वाचन क्षेत्रों के नाम तय करेंगे, जहां से हमारे उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे.

तृणमूल कांग्रेस के नेता मुंह खोलने तक को तैयार नहीं
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर मुंह खोलने तक को तैयार नहीं हैं. ईटीवी भारत के संपर्क करने पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक तापस रे ने कहा कि चूंकि गठबंधन एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए इस पर कोई भी फैसला केवल मुख्यमंत्री ही लेंगी और वह टिप्पणी करने वाली एकमात्र व्यक्ति होंगी. पश्चिम बंगाल के बिजली मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की.

शोभनदेव ने कहा कि यह एक अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है. केवल मुख्यमंत्री ही फैसला कर सकती हैं और इस मामले पर बोल सकती हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के मतदाताओं का स्वभाव बिहार से बिल्कुल अलग है. राज्य सरकार द्वारा हाल ही में की गई विकास परियोजनाओं से लोगों को धर्म की परवाह किए बिना बहुत लाभ हुआ है. पश्चिम बंगाल के राजनीतिक रूप से जागरूक मतदाताओं ने हमेशा सरकार द्वारा किए गए काम के आधार पर अपना वोट दिया है. अगले साल भी वे ऐसा ही करेंगे. ओवैसी हमारे लिए एक कारक नहीं होंगे.

पर्यवेक्षक मान रहे एआईएमआईएम बिगाड़ेगी खेल
ऑल इंडिया माइनॉरिटी यूथ फेडरेशन के महासचिव मोहम्मद कमरुज्जमा ने कहा कि बीजेपी को रोकने के लिए सभी दलों को एक साथ आना चाहिए. अब अपनी निष्क्रियता को भूल जाना चाहिए. सभी राजनीतिक दल सार्वजनिक रूप से कहते हैं कि बीजेपी उनकी प्रमुख दुश्मन है. हालांकि, बीजेपी विरोधी गठबंधन को मूर्त रूप देने के लिए चुनाव से पहले किसी भी राजनीतिक दल ने अपने स्वार्थों की बलि नहीं दी. असदुद्दीन ओवैसी राजनीति में हैं. इसलिए केवल उनसे सभी बलिदानों की अपेक्षा करना अनुचित होगा.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि अगर अंत में एआईएमआईएम अपने दम पर चुनाव लड़ती है तो कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन और तृणमूल कांग्रेस दोनों के लिए चिंता का कारण है. एआईएमआईएम की पहले से ही बिहार से सटे उत्तर दिनाजपुर जिले के साथ-साथ अल्पसंख्यक बहुल मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में मजबूत उपस्थिति है. इसके अलावा एआईएमआईएम का नेटवर्क उर्दू भाषी मुसलमानों के बीच कोलकाता और इसके आसपास हावड़ा, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिलों में भी है. इसलिए यह बहुत संभव है कि एक सीट जीतने के बिना भी एआईएमआईएम कांग्रेस-वाम गठबंधन और तृणमूल कांग्रेस दोनों का खेल खराब कर सकती है.

अधीर रंजन चौधरी ने किया स्वीकार
पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया है कि एआईएमआईएम मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में खेल खराब कर सकती है, जहां अब भी कांग्रेस के पास एक समर्पित वोट बैंक है. यह एक तथ्य है कि एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोटों को विभाजित करके बिहार में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा की जीत सुनिश्चित की. इसलिए हम सभी को विशेषकर बंगाल में धर्मनिरपेक्ष ताकतों को सचेत रहने की जरूरत है.

हालांकि, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बंगाल में एआईएमआईएम का प्रभाव केवल उर्दू बोलने वाले मुसलमानों तक सीमित है. उर्दू बोलने वाली आबादी राज्य में कुल मुस्लिम आबादी के केवल छह प्रतिशत के लिए योगदान करती है.

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