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सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना बेहद खतरनाक : न्यूरोसर्जरी प्रोफेसर - न्यूरोसर्जरी प्रोफेसर

देश भर में ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़े हैं. बीमारी को लेकर लोगों डर का माहौल है. जानिए एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ. पी शरत चंद्रा ने इसके बारे में क्या बताया.

न्यूरोसर्जरी प्रोफेसर
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Published : May 22, 2021, 4:36 PM IST

Updated : May 22, 2021, 7:57 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश भर में ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कई राज्यों में इसे महामारी के तौर पर घोषित किया जा चुका है. आलम ये है कि लोगों में इसे लेकर भय की स्थिति है.

एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ. पी शरत चंद्रा का कहना है कि फंगल इंफेक्शन कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह महामारी के अनुपात में कभी नहीं हुआ. हम सटीक कारण नहीं जानते कि यह महामारी के अनुपात में क्यों पहुंच रहा है, लेकिन हमारे पास यह मानने की वजह है कि इसके कई कारण हो सकते हैं.

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उनका कहना है कि इसका सबसे बड़ा कारण मधुमेह की अनियंत्रित स्थिति है. टोसीलिज़ुमैब के साथ स्टेरॉयड का उपयोग, वेंटिलेशन पर मरीजों का पूरक ऑक्सीजन लेना है. COVID उपचार के 6 सप्ताह के भीतर यदि लोगों में इनमें से कोई भी कारक है तो उन्हें ब्लैक फंगस का सबसे अधिक खतरा है.

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डॉ. चंद्रा का कहना है कि सिलेंडर से सीधे ठंडी ऑक्सीजन देना बेहद खतरनाक है. 2-3 सप्ताह तक मास्क का उपयोग करना काले कवक पनपने का एक कारण हो सकता है. साथ ही डॉ. चंद्रा ने इसका उपचार भी बताया. उनका कहना है कि काले फंगस की घटनाओं को कम करने के लिए उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों को एंटी-फंगल दवा पॉसकोनाज़ोल दी जा सकती है.

गौरतलब है कि आम तौर पर मेडिकल ऑक्सीजन बेहद ठंडी होती है. इसका तापमान शून्य से 183 डिग्री सेल्सियस नीचे होता है.

क्या है ब्लैक फंगस?

भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.

क्या है लक्षण?

यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

खतरनाक है ब्लैक फंगस

इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है.

पढ़ें- बिहार में मिले ब्लैक फंगस के 39 नए मामले, मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 174

अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.

(इनपुट एएनआई)

Last Updated : May 22, 2021, 7:57 PM IST

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